भाई की शादी या नौकरी दोनों में से एक चुनों, एंप्लॉयी ने चुना परिवार, पोस्ट वायरल

एक रेडिट यूजर ने पोस्ट में बताया कि उसने चार साल तक कंपनी के लिए ओवरटाइम, ट्रेनिंग और कम सैलरी पर काम किया. लेकिन जब भाई की शादी में जाने की बारी आई, तो कंपनी ने कहा – या तो शादी में जाओ या नौकरी छोड़ दो.

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4 साल की मेहनत... ओवरटाइम, ट्रेनिंग, कम सैलरी पर काम करने के बाद भी एक महिला को भाई की शादी में जाने के लिए छुट्टी नहीं मिली. ( Photo: Rediit/@ (@Chuckythedolll),AI Generated) 4 साल की मेहनत... ओवरटाइम, ट्रेनिंग, कम सैलरी पर काम करने के बाद भी एक महिला को भाई की शादी में जाने के लिए छुट्टी नहीं मिली. ( Photo: Rediit/@ (@Chuckythedolll),AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:50 PM IST

एक भारतीय कर्मचारी ने रेडिट पर बताया कि कैसे उसकी कंपनी ने उसे अमेरिका में अपने भाई की शादी में शामिल होने या इस्तीफा देने के बीच किसी एक को चुनने को कहा. भारतीय कर्मचारी ने रेडिट चौंकाने एक पोस्ट शेयर किया है.  जिसमें उसने बताया कि उनकी कंपनी ने साफ कह दिया या तो अमेरिका जाओ भाई की शादी में… या नौकरी छोड़ दो.

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चार साल तक कंपनी के लिए ओवरटाइम किया, नए लोगों को ट्रेन किया और मुश्किल वक्त में कम सैलरी पर भी काम करती रहीं. फिर भी जब परिवार का सबसे बड़ा दिन आया, तो कंपनी ने सहानुभूति दिखाने से इनकार कर दिया. ये कहानी अब ऑनलाइन चर्चा का बड़ा मुद्दा बन गई है - क्या काम ज़िंदगी से बड़ा हो सकता है?

महिला का पोस्ट हो रहा वायरल
महिला ने इसको लेकर रेडिट पर एक पोस्ट किया है. पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, क्या मैं गलत हूं? भाई की शादी और नौकरी के बीच चुनाव… और मेरा फैसला. नमस्ते दोस्तों, मुझे आपकी राय चाहिए. मैं पिछले 4 सालों से अपनी कंपनी में काम कर रहा/रही हूं.  इस दौरान मैंने मेहनत से ज़्यादा काम किया, नए लोगों को ट्रेन किया और हमेशा कंपनी को प्राथमिकता दी. लेकिन हाल ही में मेरे असली भाई की शादी तय हुई. एक जिंदगी में एक बार आने वाला मौका. मैंने कंपनी को 3 हफ़्ते पहले ही बता दिया था कि मुझे अमेरिका जाने के लिए 15 दिन की छुट्टी चाहिए.

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कंपनी के बुरे समय में भी दिया साथ
महिला ने आगे बताया कि कंपनी से यह उम्मीद नहीं थी, लेकिन उन्होंने साफ कह दिया कि या तो शादी छोड़ो या फिर इस्तीफ दो. मैंने छुट्टी कम करने की कोशिश भी की, लेकिन उन्होंने मानने से इनकार कर दिया. सबसे ज़्यादा दुख इस बात का है कि मैंने 4 साल तक उनकी हर जरूरत पर समझौता किया. जब कंपनी मुश्किल में थी, तब कम सैलरी पर भी काम किया. दो लोग नौकरी छोड़कर चले गए, तब उनका सारा काम बिना किसी अतिरिक्त वेतन के संभाला. इसके बावजूद, मुझसे जरा-सी भी संवेदना नहीं दिखाई गई.

दिलचस्प बात यह है कि कंपनी के लगभग सभी लोग, यहां तक कि मेरे पुराने बॉस भी (जिन्हें मैं पहले रिपोर्ट करता/करती था/थी), मानते हैं कि कंपनी का रवैया गलत था और मुझे सपोर्ट कर रहे हैं. आखिरकार मैंने नौकरी छोड़ने का फैसला कर लिया, भले ही मेरे पास कोई नई ऑफर नहीं है. शुक्र है कि मुझ पर कोई भारी आर्थिक बोझ (जैसे किराया या खाने-पीने का खर्च) नहीं है. लेकिन मन में सवाल है—क्या मैंने सही किया? क्या परिवार को चुनकर और उस कंपनी से अलग होकर, जिसने जरूरत के समय मेरा साथ नहीं दिया, मैंने सही फैसला लिया?

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सोशल मीडिया पर पोस्ट हो रहा वायरल
यह पोस्ट रेडिट पर बहुत वायरल हुई. लोगों ने कर्मचारी के साथ सहानुभूति जताई और कंपनी के सख्त रवैये की आलोचना की. एक यूजर ने लिखा – मेरे गुरु हमेशा कहते थे कि पहले अपनी निजी जिंदगी को प्राथमिकता दो, नौकरी को उसके हिसाब से एडजस्ट करना चाहिए, उल्टा नहीं. दूसरे यूजर ने लिखा – मैंने पूरा पोस्ट नहीं पढ़ा, सिर्फ टाइटल ही काफी है. आपने बिलकुल सही फ़ैसला लिया है. एक और यूजर ने कहा –इससे एक बड़ा सबक मिलता है – अगर आप एक बार आसानी से समझौता कर लोगे, तो कंपनी हमेशा आपको कमजोर समझेगी.

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