हार्वर्ड पर ट्रंप के एक्शन से इंडियन-चाइनीज स्टूडेंट्स की भी बढ़ेंगी मुश्किलें, हर साल इतने जाते हैं पढ़ाई करने

ट्रम्प प्रशासन ने गुरुवार को हार्वर्ड विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल स्टूडेंट्स प्रोग्राम को बंद करने का निर्णय लिया है. इस वजह से यहां पढ़ाई कर रहे हजारों विदेशी छात्रों के भविष्य के ऊपर खतरा मंडरा रहा है.

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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का बंद हुआ इंटरनेशनल प्रोग्राम हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का बंद हुआ इंटरनेशनल प्रोग्राम

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 मई 2025,
  • अपडेटेड 1:57 PM IST

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल प्रोग्राम पर रोक लगा दी गई है. ट्रंप प्रशासन के इस फैसले के बाद यहां पढ़ रहे हजारों विदेशी छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटका नजर आ रहा है, क्योंकि अब उन्हें बीच पढ़ाई में ही अमेरिका छोड़कर वापस आना पड़ सकता है. इनमें से सैकड़ों छात्र-छात्राएं भारत से भी हैं. चलिए जानते हैं मौजूदा समय में यहां कितने विदेशी स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं और भारत पर इसका कैसे प्रभाव पड़ेगा?

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ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे हजारों विदेशी छात्रों को बाहर निकालने का कदम उठाया है. होमलैंड सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने  यहां के स्टूडेंट्स और एक्सचेंज विजिटर्स प्रोग्राम (एसईवीपी) को रद्द करने की घोषणा की है. इसका अर्थ है कि विदेश से आने वाले वर्तमान छात्र-छात्राओं को को या तो स्थानांतरित होना होगा या अमेरिका छोड़ना पड़ेगा. 

कैंपस में चीन का दबदबा 
कैंपस में यहूदी विरोधी भावना को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है. क्रिस्टी नोएम के अनुसार हाल की रिपोर्टों और   हार्वर्ड के चीनी सैन्य-संबंधित संस्थानों के साथ कथित संबंधों की नई कांग्रेस जांच का भी हवाला दिया. ट्रंप प्रशासन हार्वर्ड को अपने परिसर में हिंसा, यहूदी-विरोधी भावना को बढ़ावा देने और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समन्वय करने के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है.

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पहले ही विश्वविद्यालय की रोक दी गई है फंडिंग
गुरुवार की घोषणा ऐसे समय में हुई है. जब विश्वविद्यालय पहले से ही रिसर्च फंड में भारी  कटौती की समस्या से जूझ रहा था. हार्वर्ड के बारे में ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि वह परिसर में यहूदी विरोधी भावना और जातीय उत्पीड़न को दूर करने में वहां का प्रशासन विफल रहा है. हाल के हफ्तों में लगभग 3 बिलियन डॉलर के फेडरल अनुबंध और शोध अनुदान को रोक को भी दिया गया या समाप्त कर दिया गया है.

6800 विदेशी छात्रों के लिए संकट
ऐसे में हार्वर्ड में पढ़ाई कर रहे हार्वर्ड में 6,800 अंतरराष्ट्रीय छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटक गया है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने वाले 6793 विदेशी स्टूडेंट्स कुल छात्रों का 27% हैं. इनमें भारत के 788 और चीन के 2126 छात्र-छात्राएं भी शामिल हैं. 

यूनिवर्सिटी में बढ़ती ही जा रही है विदेशी छात्रों की संख्या
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के अनुसार यहां विदेशी छात्र-छात्राओं की संख्या में हर साल बढ़ोतरी हो रही है. मौजूदा वर्ष 2024-25 में जहां 6793 विदेशी स्टूडेंट्स के साथ ये आंकड़ा कुल एडमिशन का 27% है, वहीं 2023-24 में 6713 स्टूडेंट्स के साथ इनका प्रतिशत 26.8 था. वहीं बात 2006-07 की बात करें तो उस वक्त यहां 3941 विदेशी स्टूडेंट्स के साथ ये आंकड़ा कुल एडमिशन का 19% था, जो बढ़ते-बढ़ते 27 तक पहुंच गया है. 

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कनाडा, चीन, भारत और साउथ कोरिया से आते हैं सबसे ज्यादा स्टूडेंट
हार्वर्ड की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार हर साल 500 से 800 भारतीय छात्र और स्कॉलर  विश्वविद्यालय में नामांकन लेते हैं. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के डेटा के अनुसार यहां एडमिशन लेने वाले दूसरे देशों के छात्र-छात्राओं सबसे आगे कनाडा और फिर चीन है. इसके बाद साउथ कोरिया और भारत का नंबर आता है. 

साल दर साल बढ़ते गए विदेशी छात्रों के आंकड़े
हार्वर्ड में अगर 2022 के आंकड़ों पर नजर डालें तो उस वर्ष वहां चीन के 1016 छात्रों ने नामांकन कराया था. वहीं सिर्फ दो साल में ये आंकड़ा बढ़कर 2126 हो गया. इसी तरह अगर भारत की बात की जाए तो 2022 में भारत के 319 छात्र-छात्राओं ने दाखिला लिया था, जो 2024-25 में बढ़कर 788 तक पहुंच गया. 

चीनी स्टूडेंट्स की बढ़ रही संख्या
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के आंकड़ों से साफ पता चलता है कि यहां चीन के छात्रों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. न सिर्फ चीन बल्कि एशियाई देशों के छात्र-छात्राएं भी विगत वर्षों में इधर का रुख कर रहे हैं. इनमें साउथ कोरिया, भारत, चीन के अलावा पाकिस्तान और नेपाल भी शामिल है.

भारत के पड़ोसी देशों के इतने छात्र
अगर हम भारत के पड़ोसी देशों की बात करें तोपाकिस्तान के 116, श्रीलंका के 17, नेपाल के 29, अफगानिस्तान के 17 और बांग्लादेश के 28 छात्र-छात्राएं इस वक्त  हार्वर्ड में पढ़ाई कर रहे हैं. 

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2024-25

भारत - 788

चीन - 2126

नेपाल - 29 

अफगानिस्तान - 17 

पाकिस्तान - 116

फैसले के खिलाफ यूनिवर्सिटी ने किया मुकदमा
बता दें कि ट्रंप प्रशासन के इस बड़े फैसले केकुछ ही घंटों बाद एक फेडरल जज ने इमीग्रेशन अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय छात्रों की कानूनी स्थिति को रद्द करने से रोक दिया. साथ ही हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से फंड रोकने को लेकर मुकदमा दायर किया गया है. हार्वर्ड के प्रेसिडेंट एलन गार्बर ने इसे गैरकानूनी माना है. 

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