वाराणसी: लड़कियों ने गणतंत्र दिवस पर दिखाए करतब, चलाए लाठी, भाले और तलवार

देश के 72वें गणतंत्र दिवस को इन वेदपाठी छात्राओं ने शौर्य दिवस के रूप में मनाया. जिसमें इन्होंने किसी कुशल योद्धा की तरह, न केवल लाठी-डंडों, भाले, तलवार की युद्ध कला का प्रदर्शन किया बल्कि मार्शल आर्ट्स का भी शानदार प्रदर्शन किया.

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यहां वेद पाठ से लेकर लाठी डंडे चलाने की शिक्षा दी जाती है यहां वेद पाठ से लेकर लाठी डंडे चलाने की शिक्षा दी जाती है

रोशन जायसवाल

  • वाराणसी,
  • 27 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 9:10 AM IST
  • वाराणसी के महमूरगंज इलाके में स्थित है ये वेद विद्यालय
  • लड़कियों को मार्शल आर्ट की शिक्षा दी जाती है
  • लाठी, डंडे, भाला, तलवार चला सकती हैं छात्राएं

एक तरफ गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजधानी के राजपथ पर अत्याधुनिक शस्त्रों के प्रदर्शन से दुश्मनों के दिल दहल जाते हैं तो वहीं दूसरी ओर धर्म की नगरी काशी में गुरुकुल परंपरा पर आधारित छात्राओं का एक ऐसा गुरुकुल है, जिसमें शास्त्र के साथ ही शस्त्र की शिक्षा भी दी जाती है. गणतंत्र दिवस के मौके पर इस गुरुकुल की छात्राओं ने लाठी-डंडों, भालो और तलवारों के साथ ही मार्शल आर्ट का प्रदर्शन करके सबको चौंका दिया.

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“शस्त्रेण रक्षिते राष्ट्रे शास्त्र चर्चा प्रवर्तते" यानी शस्त्रों के द्वारा रक्षित राष्ट्र में ही शास्त्र चर्चा हो सकती है. संस्कृत की इन्हीं पंक्तियों को धर्म की नगरी काशी की वेदपाठी छात्राएं चरितार्थ कर रही हैं. देश के 72वें गणतंत्र दिवस को इन वेदपाठी छात्राओं ने शौर्य दिवस के रूप में मनाया. जिसमें इन्होंने किसी कुशल योद्धा की तरह, न केवल लाठी-डंडों, भाले, तलवार की युद्ध कला का प्रदर्शन किया बल्कि मार्शल आर्ट्स का भी शानदार प्रदर्शन किया.

वाराणसी के महमूरगंज इलाके में स्थित इस वेद विद्यालय, पाणिनी कन्या महाविद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं में से एक दामिनी आर्य बताती हैं कि ''आज के ही दिन देश का संविधान बना इसमें आत्मरक्षा की भी बात कही गई और शास्त्रों में भी वर्णित है कि “शस्त्रेण रक्षिते राष्ट्रे शास्त्र चर्चा प्रवर्तते" अर्थात जो देश शत्रु से सुरक्षित होता है वहीं शास्त्रों की चर्चा भी हो सकती है.''

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महाविद्यालय की प्राचार्य आचार्य नंदिता शास्त्री ने बताया कि ''जहां शस्त्र और शास्त्र दोनों की शिक्षा दी जाती रही उसे ही गुरुकुलीय शिक्षा कहा जाता था. जब शस्त्र से हमारी सीमाएं, हमारा राष्ट्र सुरक्षित रहेगा, वहीं पर शास्त्र की चर्चा, शास्त्रों का अध्ययन और वेदों का अध्ययन संभव है. उन्होंने आगे बताया कि 50 वर्ष पहले से ही पाणिनी कन्या महाविद्यालय का उद्देश्य रहा है कि कन्याओं में वीरांगना, ब्रह्म तेज और छात्र तेज हो. यही वजह है कि लड़कियों के इस विद्यालय में शास्त्र के साथ ही शस्त्र की भी शिक्षा दी जाती रही है.''

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