क्या ब्रिटेन के पूर्व PM टोनी ब्लेयर होंगे गाजा के 'राजा'? अमेरिका-इजरायल के साथ बना रहा ये प्लान

मलबों में तब्दील हो चुके गाजा में अमेरिका शांति लाना चाहता है. इसकी जिम्मेदारी ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर को सौंपी जा सकती है, लेकिन उनका नाम सामने आते ही कई विवाद भी उठ खड़े हुए हैं.

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ब्लेयर गाजा इंटरनेशनल ट्रांजिशनल अथॉरिटी (GITA) के चेयर बनाए जा सकते हैं: (Photo credit: Reuters) ब्लेयर गाजा इंटरनेशनल ट्रांजिशनल अथॉरिटी (GITA) के चेयर बनाए जा सकते हैं: (Photo credit: Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:20 PM IST

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर इस वक्त दुनिया की सुर्खियों में हैं. यही वही ब्लेयर हैं, जिनके कार्यकाल में अमेरिका ने इराक पर हमला किया था और ब्रिटेन ने उसका पूरा साथ दिया था. लेकिन इस बार ब्लेयर एक बिल्कुल अलग वजह से चर्चा में हैं. इराक युद्ध में अमेरिका का साथ देने वाले ब्लेयर अब मध्य-पूर्व में नई भूमिका निभा सकते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह गाजा के भविष्य को आकार देने में दिलचस्पी रखते हैं और उन्हें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन भी मिला है.

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गाजा का बड़ा हिस्सा इस समय मलबे में तब्दील हो चुका है और लाखों फिलिस्तीनी इजरायल के हमलों की वजह से घर छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं. ऐसे हालात में सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगर हमास को सत्ता से हटा दिया जाता है, तो युद्ध के बाद गाजा का पुनर्निर्माण कौन करेगा. माना जा रहा है कि इस जिम्मेदारी की अगुवाई टोनी ब्लेयर को दी जा सकती है.

मध्य-पूर्व से ब्लेयर का जुड़ाव

स्काई न्यूज के मुताबिक, 2007 में प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद ब्लेयर को अमेरिका, यूरोपीय संघ, रूस और संयुक्त राष्ट्र यानी क्वार्टेट का मध्य-पूर्व दूत बनाया गया था. उस दौरान उनका ध्यान फिलिस्तीन राज्य को मजबूत करने और दो-राष्ट्र समाधान की नींव रखने पर था. अब चर्चाएं हैं कि ब्लेयर गाजा इंटरनेशनल ट्रांजिशनल अथॉरिटी (GITA) के चेयर बन सकते हैं. यह संस्था अस्थायी तौर पर गाजा के पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी संभालेगी और बाद में इसे फिलिस्तीनी अथॉरिटी (PA) को सौंप देगी.

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विदेशी मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने ब्लेयर की तारीफ करते हुए कहा कि वह हमेशा समाधान खोजने वाले और रचनात्मक नेता रहे हैं. वहीं, विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम अप्रत्याशित नहीं है क्योंकि ब्लेयर अपनी थिंक टैंक टोनी ब्लेयर इंस्टीट्यूट के जरिए लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मुद्दों में सक्रिय हैं.

क्यों लटक सकती है नियुक्ति

हालांकि, ब्लेयर की नियुक्ति को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं. आलोचकों का कहना है कि उनका नाम अब भी इराक युद्ध से जुड़ा है, जिसे झूठे दावों पर आधारित माना गया था. 2016 की चिलकॉट रिपोर्ट में पाया गया था कि ब्रिटेन ने शांति के विकल्पों पर विचार किए बिना युद्ध का फैसला किया और ब्लेयर ने सद्दाम हुसैन के खतरे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया. यही वजह है कि फिलिस्तीन की जनता और अरब देशों की नजर में ब्लेयर की छवि एक वॉर क्रिमिनल की है. ऐसे में उन्हें गाजा में शांति और विकास लाने वाले नेता के तौर पर पेश करना मुश्किल होगा.

गाजा में ट्रंप की शांति योजना

ब्लेयर की संभावित भूमिका ट्रंप की 21-बिंदुओं वाली शांति योजना का हिस्सा बताई जा रही है. इस योजना में हमास से हथियार डालने, कैदियों की रिहाई और मानवीय सहायता की अनुमति जैसी शर्तें शामिल हैं. हालांकि, गाजा में सुरक्षा नियंत्रण अंतरराष्ट्रीय बल को देने का प्रस्ताव इजरायल की शर्तों से टकराता है क्योंकि वह खुद सुरक्षा बनाए रखना चाहता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस पूरे मसले में सबसे बड़ी चुनौती सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी उपायों की होगी. बाकी मुद्दों पर समय के साथ सहमति बनाई जा सकती है.

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