मछुआरे को मिली चमकीली और पीले रंग की विशाल कैटफिश, लोग देखकर हैरान

वेल्स कैटफ़िश पूरे यूरोप में झीलों और नदियों के मूल निवासी हैं, और अगर वे पूरी तरह से विकसित होने तक जीवित रहते हैं तो 2.7 मीटर तक उनकी लंबाई बढ़ जाती है.

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पीले रंग का कैटफिश (तस्वीर: Michael McCarthy) पीले रंग का कैटफिश (तस्वीर: Michael McCarthy)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 11:59 PM IST
  • पीले रंग के कैटफिश को देखकर मछुआरा दंग
  • ल्यूसिज्म नामक बीमारी से बदल जाता है मछली का रंग

नीदरलैंड में एक मछुआरे ने असाधारण और चमकीले कैटफ़िश को पकड़ा जिसे देखकर वो खुद भी हैरान हो गया. पेशेवर मछुआरा मार्टिन ग्लैट्ज़ मछली पकड़ने के लिए बाहर गए थे जब उन्हें प्रभावशाली वेल्स कैटफ़िश ने रोक लिया.

वेल्स कैटफ़िश पूरे यूरोप में झीलों और नदियों के मूल निवासी हैं, और अगर वे पूरी तरह से विकसित होने तक जीवित रहते हैं तो 2.7 मीटर तक उनकी लंबाई बढ़ जाती है.

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हालांकि इस कैटफिश के चमकीले और पीले रंग में होने की मुख्य वजह दुर्लभ आनुवंशिक विकार हो सकता है जिसे ल्यूसिज्म के रूप में जाना जाता है. यह बीमारी मछली के त्वचा को चमकीले पीले रंग (केले की तरह) में बदल देता है.

इस पकड़ने के बाद मछुआरा मार्टिन ने कहा, "मैंने ऐसी कैटफ़िश पहले कभी नहीं देखी, मैं इसे लेकर अभिभूत हूं." विशेषज्ञों के मुताबिक ल्यूसिज्म एक ऐसी स्थिति है जो त्वचा और बालों में रंगद्रव्य के नुकसान का कारण बनती है, यह स्थिति पक्षियों, स्तनधारियों और सरीसृपों में देखी जाती है, इससे पीले पेंगुइन और सफेद ऑर्कास सहित कई जीव प्रभावित होते हैं.

यह ऐल्बिनिज़म नाम के बीमारी से इस मायने में अलग है कि यह आंखों को प्रभावित नहीं करता है. मनुष्यों के लिए बहुत आकर्षक दिखने के बावजूद, ल्यूसिज्म वाले जानवर अक्सर खतरे में रहते हैं क्योंकि उनके चमकीले रंगद्रव्य उन्हें आसानी से पहचान सकते हैं, जिससे शिकारियों से बचना या छुपकर रहना मुश्किल हो जाता है.

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