दुबई की सड़कों का ‘नो हॉर्न’ कल्चर वायरल, भारतीय ने दिखाया लाइव नजारा

दुबई की सड़कें भीड़ से भरी जरूर होती हैं, लेकिन शोर से नहीं. गाड़ियां लाइन से खड़ी रहती हैं, फिर भी हॉर्न की एक भी आवाज नहीं उठती और यही शांत ट्रैफिक भारत से आने वाले को सबसे ज्यादा चौंकाता है.

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दुबई सिविक सेंस के मामले में नंबर 1 माना जाता है.(Photo:Insta/@realtorlovkesh) दुबई सिविक सेंस के मामले में नंबर 1 माना जाता है.(Photo:Insta/@realtorlovkesh)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:30 AM IST

दुबई की चमकती सड़कों पर ट्रैफिक जाम तो कई बार लगता है, लेकिन सबसे खास बात यह है कि वहां हॉर्न की आवाज़ शायद ही सुनाई देती है. ऐसा ही एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. दुबई में रहने वाले भारतीय रियल एस्टेट फाउंडर लवकेश सोलंकी ने इंस्टाग्राम पर एक रील शेयर की है, जिसमें वह बिजनेस बे की सबसे व्यस्त सड़कों में से एक पर खड़े होकर इस खास ट्रैफिक अनुशासन को दिखाते हैं.

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वीडियो में लवकेश कहते हैं कि देखिए, मैं अभी दुबई की सबसे बिजी रोड पर खड़ा हूं. शाम का पीक ऑवर है, सब लोग घर जा रहे हैं. गाड़ियां बंपर-टू-बंपर खड़ी हैं, लेकिन अगर आपको एक भी हॉर्न सुनाई दे तो मुझे बता देना. यहां कोई बेवजह हॉर्न नहीं बजाता.

वह आगे बताते हैं कि दुबई में ड्राइवर हॉर्न सिर्फ तब बजाते हैं जब सामने वाला कोई बड़ी गलती करता है-जैसे बिना इंडिकेटर के लेन बदलना या अचानक रास्ता काट देना. इसके अलावा यहाँ के ड्राइवर बेहद अनुशासित रहते हैं और सड़क पर शांत माहौल बनाए रखते हैं.लवकेश ने वीडियो के कैप्शन में लिखा -ना हॉर्न, ना जल्दी… बस दुबई में आराम से चलती स्मूथ ड्राइव्स.

देखें वायरल वीडियो

वीडियो देख लोगों ने क्या कहा

वीडियो पोस्ट होते ही वायरल हो गया. लाखों व्यूज और हजारों कमेंट्स आने लगे. कई लोग इसे भारत से तुलना करते हुए देख रहे हैं. वीडियो पोस्ट होते ही तेजी से वायरल होने लगा और कुछ ही समय में लाखों व्यूज और हजारों कमेंट्स आ गए. ज्यादातर लोगों ने इसे भारत से तुलना करते हुए देखा और अपनी प्रतिक्रियाएं दीं. कई यूजर्स ने कहा कि यही वजह है कि दुबई दुनिया में नंबर-1 माना जाता है, क्योंकि वहां लोग नियमों का सख्ती से पालन करते हैं, जबकि भारत में ऐसा कम देखने को मिलता है. 

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कुछ ने लिखा कि समस्या सड़कों की नहीं, बल्कि सोच की है, और हमें अपनी मानसिकता बदलनी होगी. कई दर्शकों ने इसे सिविक सेंस का बेहतरीन उदाहरण बताया और सवाल उठाया कि भारत इस स्तर की नागरिक समझ कब हासिल करेगा. कुछ लोगों ने मजाकिया अंदाज में यह भी कहा कि भारत में तो हॉर्न बजाना मानो 'ब्लेसिंग देने' जैसा माना जाता है, क्योंकि लोग बिना वजह भी लगातार हॉर्न दबाते रहते हैं.

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