99% हवा से बना है ये अनोखा पर्स, महज 33 ग्राम वजन, कंपनी ने बताईं खासियत

इस पर्स को पहली बार पैरिस फैशन वीक में पेश किया गया. इसकी खासियत ये है कि इसे बनाने में 99 फीसदी हवा और 1 फीसदी कांच का इस्तेमाल हुआ है. पैरिस के ब्रांड Coperni ने पर्स को 2024 पैरिस फैशन वीक में सोमवार को लॉन्च किया है.

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लॉन्च हुआ हवा से बना बैग (तस्वीर- Coperni/Getty Images) लॉन्च हुआ हवा से बना बैग (तस्वीर- Coperni/Getty Images)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 11:00 PM IST

आपने कई तरह के पर्स देखे होंगे, कोई चमड़े ले बना होता है, तो कोई कपड़े से. लेकिन क्या कभी ऐसे पर्स के बारे में सुना है, जो किसी भी ऐसी चीज से नहीं बना. बल्कि इसे बनाने में केवल हवा और कांच का इस्तेमाल हुआ है. ये इस तरह का दुनिया का पहला पर्स है.

इसका वजन एक लाइट बल्ब के बराबर है. पर्स को पहली बार पैरिस फैशन वीक में पेश किया गया.  इसकी खासियत ये है कि इसे बनाने में 99 फीसदी हवा और 1 फीसदी कांच का इस्तेमाल हुआ है. पैरिस के ब्रांड Coperni ने पर्स को 2024 पैरिस फैशन वीक में सोमवार को पेश किया है. 

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न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले अमेरिकी मॉडल बेला हदीद को भी एयरब्रश करके अनोखे तरीके से ड्रेस पहनाई गई थी. वहीं इस ब्रांड ने नासा के साथ मिलकर इस एयर स्वाइप बैग को बनाया है. ये 33 ग्राम का है. पर्स पूरी तरह ट्रांसपेरेंट नजर आ रहा है.

Coperni ने कहा कि बादल जैसा दिखने वाला ये हैंडबैग स्पेस टेकनोलॉजी 'नैनोमटेरियल सिलिका एरोजेल' से बनी अब तक की सबसे बड़ी चीज है, जो पृथ्वी ग्रह पर सबसे हल्का लेकिन ठोस पदार्थ है. नासा इसका इस्तेमाल स्टारडस्ट को पकड़ने के लिए करता है.

इसे बनाने में ब्रांड ने अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ साइप्रस के विजुएल आर्टिस्ट और रिसर्चर इओनिस माइकलौडिस की मदद ली है. डिजाइनरों ने ब्रिटिश वोग को बताया कि इसे सफल बनाने में 15 प्रोटोटाइप लगे है.

कंपनी के सह-संस्थापक और क्रिएटिव डायरेक्टर सेबेस्टियन मेयर और सीईओ और सह-संस्थापक अरनॉड वैलेन्ट ने इसे 'वैज्ञानिक लेकिन जादुई' बताया है.

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वहीं नासा के जॉर्ज गोल्ड ने इस मटीरियल को लेकर 2010 में कहा था, 'ये कुछ ऐसा है, जब आप अपने हाथ में सिलिका एरोजेल का एक हिस्सा लें. अगर आप इसे टेबलटॉप पर गिराते हैं, तो इसमें एक आवाज आती है. ऐसा लगता है जैसे कोई क्रिस्टल ग्लास मेज से टकरा रहा हो.'

सिलिका एरोजेल का इस्तेमाल नासा ने साल 1999 में स्टारडस्ट मिशन में किया था. जो उल्कापिंड के पृथ्वी पर नमूने लाने वाला पहला मिशन था. जब कंपनी से सवाल पूछा गया कि क्या इसमें सामान रख सकते हैं. तो जवाब मिला कि 'इसमें आइफोन आ सकता है.'

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