90 के दशक में वियना के लैन्ज अस्पताल में सात साल तक हत्याओं का सिलसिला जारी रहा. हॉस्पिटल में एक के बाद एक मरीजों की मौत होती रही और किसी को कोई शक नहीं हुआ, क्योंकि इन्हें स्वाभाविक मौत का रूप दे दिया जाता था. अंतत: एक जांच में भयावह खुलासा हुआ और लोग जिन्हें स्वाभाविक मौत समझ रहे थे, वो सब सिलसिलेवार हत्या के मामले निकले.
मिरर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल में मरीजों को मारने के पीछे नर्सों की एक टीम का हाथ सामने आया. इस ग्रुप को नाम दिया गया - एंजेल्स ऑफ डेथ या "मौत के दूत". साइको नर्सों के एक समूह ने भयानक सिलसिलेवार हत्याकांड के दौरान 300 से अधिक मरीजों को मौत के घाट उतार दिया.
सात साल तक चला हत्याओं का सिलसिला
मरीजों को दर्द निवारक दवाओं की अधिक मात्रा दे दी जाती थी और फिर उन्हें मौत की नींद सुला दिया जाता था. वाल्ट्राउड वैगनर और आइरीन लीडोल्फ नाम की नर्सों ने 1983 से 1989 के बीच वियना के लैंज अस्पताल में सात साल तक एक के बाद एक मरीजों की हत्या की.
ऐसे करती थी मरीजों की हत्या
इन हत्याओं को कई तरीकों से अंजाम दिया गया. उन्होंने मरीजों के फेफड़ों में पानी डाला, कभी उन्हें इंसुलिन और ट्रैंक्विलाइज़र की अधिक खुराकें दीं, तो कभी बेहोशी का ओवर डोज दे दिया. इन दो कातिल नर्सों की दो और साथी थी, जो इनके इस खतरनाक पागलपन में साथ देती थीं. इनका नाम था मारिया ग्रुबर और स्टेफनीया मेयर.
मरीजों को दर्द से छुटकारा दिलाना चाहती थीं
चारों सीरियल किलर ने पुलिस को बताया कि उन्होंने 1983 में दया के कारण बुज़ुर्ग और मरते हुए मरीजों को मारना शुरू किया था. वे सिर्फ उन्हें दर्द से छुटकारा दिलाना चाहती थीं. उस साल 23 साल की वैगनर पहली नर्स थी जिसने मॉर्फीन की ओवरडोज देकर एक मरीज की जान ली थी. फिर उसने अपने साइको किलर टोली में 19 साल की ग्रुबर, 21 साल के लीडोल्फ और इस खतरनाक ग्रुप की "हाउस मदर" 43 साल की मेयर को शामिल किया.
वैगनर ने दूसरी नर्सों को सिखाया मरीजों का जान लेना
वैगनर ने बाकी लोगों को जानलेवा इंजेक्शन बनाने का तरीका सिखाया. उनमें से एक पीड़ित का सिर पकड़कर उसकी नाक दबाता था, जबकि दूसरा उसके गले में तब तक पानी डालता था जब तक कि वह बिस्तर पर ही ढेर न हो जाए. इससे मरीज को भयानक पीड़ा होती थी.
75 से ज्यादा उम्र के थे अधिकतर शिकार
इन पागल साइको किलर नर्सों के शिकार 80 साल से ज़्यादा उम्र के बुजुर्ग होते थे और सभी 75 साल से ज़्यादा उम्र के थे. अगर अस्पताल प्रशासन ने पुलिस के साथ सही ढंग से सहयोग किया होता, तो कम से कम 22 लोगों को बचाया जा सकता था.
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इस मामले के मुख्य जांचकर्ता मैक्स एडेलबैकर ने बताया कि एंजेल्स ऑफ डेथ की सभी सदस्यों को तब पकड़ा गया जब एक डॉक्टर ने उन्हें एक स्थानीय पब में हत्याओं पर चर्चा करते हुए सुना. चारों महिलाओं ने शुरुआत में क्लिनिक में 42 मरीज़ों की मौत में शामिल होने की बात स्वीकार की थी, जिसे बाद में नर्सिंग होम में बदल दिया गया.
300 लोगों को मारने का अनुमान
न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ रिपोर्टों में कहा गया था कि पीड़ितों की संख्या 300 तक हो सकती है. जांच के दौरान, उनमें से एक ने कथित तौर पर पुलिस को बताया कि जिन लोगों ने काम के दौरान मुझे ज्यादा परेशान किया, उन्हें सीधे भगवान के पास एक मुफ़्त बिस्तर पर भेज दिया गया.
तत्कालीन मेयर हेल्मुट जिल्क ने नर्स के सहयोगियों को "मौत के फरिश्ते" कहा और कहा कि वे ऑशविट्ज कंसंट्रेशन कैंप में नाजी चिकित्सा प्रयोगों की याद दिलाते हैं.
सभी को देर-सवेर जेल से रिहा कर दिया गया
वैगनर और लीडोल्फ को 1991 में हत्या का दोषी ठहराया गया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, अच्छे व्यवहार के कारण उन्हें 2008 में सशर्त रिहा कर दिया गया था. रिहाई से पहले, उन्हें कथित तौर पर बाल बनवाने या खरीदारी करने के लिए जेल से बाहर जाने की अनुमति दी गई थी.
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वहीं ग्रुबर और मेयर को हत्या के प्रयास और गैर इरादतन हत्या के कम गंभीर आरोपों में दोषी ठहराया गया था और कुछ साल पहले ही रिहा कर दिया गया था और निगरानी समूहों के हमलों से बचने के लिए उन्हें नई पहचान दी गई थी.
वियना की एक बुक कीपर अन्ना रीत्श ने उस समय कहा था कि हत्यारे को फांसी देना अमानवीय और अनैतिक है, लेकिन यह उसके पीड़ितों के प्रियजनों के साथ अन्याय है. जब एक हत्यारा जेल से बाहर एक अच्छी ज़िंदगी की उम्मीद कर सकता है.
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