बॉस हो तो ऐसा! कंपनी बेचकर अमेरिकी सीईओ ने कर्मचारियों में बांटे 2,000 करोड़ रुपये

कंपनी बिक गई, नौकरी भी चली गई… लेकिन बोनस में इतनी बड़ी रकम मिली कि जिंदगी भर की टेंशन ही खत्म हो गई. जिन कर्मचारियों को लगा था कि आगे क्या होगा, वही अब सुकून की सांस ले रहे हैं. आखिर कौन सी कंपनी है जिसने ऐसा बोनस दिया कि इसकी कहानी सुनकर हर कोई हैरान रह गया?

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फाइबरबॉन्ड को अमेरिकी दिग्गज कंपनी Eaton को बेचा गया था ( सांकेतिक तस्वीर-Pexel) फाइबरबॉन्ड को अमेरिकी दिग्गज कंपनी Eaton को बेचा गया था ( सांकेतिक तस्वीर-Pexel)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:01 PM IST

अमेरिका के लुइसियाना में स्थित फैमिली बिजनेस फाइबरबॉन्ड के सीईओ ग्राहम वॉकर ने कंपनी बेचने के बाद ऐसा फैसला लिया, जिसकी चर्चा अब दुनियाभर में हो रही है. कंपनी की बिक्री से मिली रकम में से उन्होंने 15 प्रतिशत हिस्सा, यानी करीब 240 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 21 अरब 55 करोड़ रुपये), सीधे अपने 540 फुल-टाइम कर्मचारियों में बांट दिया. खास बात यह रही कि इन कर्मचारियों के पास कंपनी की कोई इक्विटी नहीं थी, फिर भी उन्हें इस डील का बड़ा हिस्सा मिला.

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फाइबरबॉन्ड को अमेरिकी दिग्गज कंपनी Eaton को बेचा गया था. इस सौदे के दौरान ग्राहम वॉकर ने साफ शर्त रखी कि कर्मचारियों को सेल प्रोसीड्स का हिस्सा दिया जाएगा. यह जानकारी वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में सामने आई है. ग्राहम वॉकर के मुताबिक, यह फैसला कर्मचारियों की उस लॉयल्टी के सम्मान में लिया गया, जो उन्होंने कंपनी के मुश्किल दौर में दिखाई.

इतना पैसा कि बिना कमाए भी जिंदगी चल सकती है

बोनस की राशि किसी के लिए भी चौंकाने वाली थी. औसतन हर कर्मचारी को करीब 4 लाख 43 हजार डॉलर (लगभग 3.7 करोड़ रुपये) का बोनस मिला. यह रकम एक साथ नहीं, बल्कि पांच साल में दी जानी है, बशर्ते कर्मचारी कंपनी में बने रहें. बोनस की पेमेंट जून 2025 से शुरू हो चुकी है.

इस फैसले ने कई कर्मचारियों की जिंदगी बदल दी. एक महिला कर्मचारी, जो 1995 से कंपनी में काम कर रही हैं और कभी 5.35 डॉलर प्रति घंटा की सैलरी पर थीं, उन्होंने इस बोनस से अपना मॉर्टगेज चुकाया और एक क्लोदिंग बुटीक शुरू किया. उनके मुताबिक, पहले गुजारा सैलरी से सैलरी तक ही होता था, लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं. अन्य कर्मचारियों ने इस रकम से कर्ज चुकाया, कार खरीदी, बच्चों की कॉलेज फीस भरी, रिटायरमेंट फंड मजबूत किया या परिवार के साथ यात्रा की योजना बनाई.

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'यह उनका पैसा है'


कई कर्मचारियों को शुरुआत में यह यकीन ही नहीं हुआ कि यह सच है. कुछ को लगा कि यह मजाक या प्रैंक है, जबकि कई लोग भावुक हो गए. ग्राहम वॉकर ने खुद माना कि कुछ कर्मचारियों ने बोनस मिलते ही उसे खर्च कर दिया. उनके शब्दों में आखिरकार यह उनका पैसा है, फैसला भी उनका ही है.

फाइबरबॉन्ड की कहानी संघर्ष और वापसी की मिसाल रही है. कंपनी की स्थापना 1982 में ग्राहम के पिता क्लॉड वॉकर ने की थी. 1998 में फैक्ट्री में आग लगी, फिर भी कर्मचारियों की सैलरी नहीं रोकी गई. डॉट-कॉम बबल के दौरान छंटनी हुई, लेकिन बाद में ग्राहम और उनके भाई ने कंपनी को संभालते हुए कर्ज चुकाया और नई डिवीजन शुरू की, जिससे बिक्री में 400 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई. सोशल मीडिया पर इस कदम को क्रिसमस की सबसे सकारात्मक खबरों में से एक बताया जा रहा है.

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