'नोबेल दिलाने चले थे...,' ईरान पर US अटैक के बाद आसिम मुनीर पर पाकिस्तानियों का फूटा गुस्सा

कहते हैं, होता वही है जो मंज़ूर-ए-खुदा होता है. कुछ दिन पहले तक पाकिस्तान की मीडिया अपने आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को हीरो बनाकर पेश कर रही थी. वजह थी—उन्हें व्हाइट हाउस से मिला इन्विटेशन और वहां की गई शाही मेहमाननवाजी. यह मुलाकात तब सुर्खियों में आई जब मुनीर ने अमेरिका में यह प्रस्ताव रखा कि डोनाल्ड ट्रंप को भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित परमाणु युद्ध को रोकने के प्रयासों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया जाना चाहिए.

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 आसिम मुनीर पर भड़के पाकिस्तानी (सांकेतिक तस्वीर-AI) आसिम मुनीर पर भड़के पाकिस्तानी (सांकेतिक तस्वीर-AI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 जून 2025,
  • अपडेटेड 2:06 PM IST

कहते हैं, होता वही है जो मंज़ूर-ए-खुदा होता है. कुछ दिन पहले तक पाकिस्तान की मीडिया अपने आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को हीरो बनाकर पेश कर रही थी. वजह थी—उन्हें व्हाइट हाउस से मिला इन्विटेशन और वहां की गई शाही मेहमाननवाजी.

यह मुलाकात तब सुर्खियों में आई जब पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए औपचारिक रूप से नामांकित किया. इसके पीछे पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की भी भूमिका रही, जिन्होंने 18 जून 2025 को व्हाइट हाउस में ट्रंप से मुलाकात के दौरान इस नामांकन की पैरवी की थी.

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लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. अमेरिका ने ईरान पर हमला कर दिया है और वह इजरायल-ईरान युद्ध में खुलकर शामिल हो गया है. ऐसे में पाकिस्तान की लोग सोशल मीडिया पर लोग अब मुनीर से ही सवाल पूछने लगे हैं—क्या यही था आपका शांति का विजन.

आइये देखते हैं आसिम मुनीर के बारे में सोशल मीडिया पर क्या लिखा जा रहा है.


पाकिस्तान के पत्रकार पत्रकार अमीर अब्बास ने लिखा कि ये वही ट्रंप, जिसे कभी पीएमएल-एन नेता ख्वाजा साद रफीक ने चंगेज खान और हिटलर कहा था, आज उसी ट्रंप को उसी पार्टी की सरकार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित कर रही है. आखिर ये शर्मनाक और डरपोक फैसले कौन करवा रहा है?

वहीं किसी ने लिखा कि पाकिस्तान को नहीं, आसिम मुनीर को शर्म आनी चाहिए.

 

वहीं किसी ने कहा इसी को गद्दारी कहते हैं.

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किसी ने उम्मा का हवाला देते हुए लिखा कि जनरल जिया-उल-हक और परवेज मुशर्रफ के बाद अब फेल्ड मार्शल आसिम मुनीर ने भी साबित कर दिया है कि पाकिस्तान आर्मी और ISI के लिए न तो उम्मा (इस्लामी एकता) मायने रखती है और न ही इस्लामी भाईचारा. इनके लिए असली अहमियत सिर्फ अमेरिकी डॉलर की है.

 

वहीं एक पाकिस्तानी ने लिखा- अगर अमेरिकी हमला सफल रहा, तो उसके रेडिएशन (तापीय विकिरण) का असर पाकिस्तान समेत पूरे क्षेत्र पर पड़ेगा और करोड़ों लोगों की जान जा सकती है। तानाशाह आसिम मुनीर इस परमाणु हमले में बराबर के जिम्मेदार होंगे.

एक पाकिस्तानी ने लिखा किआसिम मुनीर पाकिस्तान आर्मी का आखिरी चीफ साबित होगा. अब या तो सेना बचेगी या पाकिस्तान, क्योंकि भ्रष्ट सेना और पाकिस्तान — दोनों एक साथ ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकते.

पाकिस्तान के एक अन्य सोशल मीडिया यूजर आमिर खान ने कहा कि शहबाज शरीफ, आसिफ जरदारी, नवाज़ शरीफ और आसिम मुनीर ने डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया है. एक ऐसा व्यक्ति जो मुसलमानों के नरसंहार का जिम्मेदार है. इससे बड़ी गद्दारी मुसलमानों, हमारे देश और पाकिस्तान की अवाम के साथ और क्या हो सकती है? इस देश को इन सभी से जवाब मांगना चाहिए और उन्हें ज़िम्मेदार ठहराना चाहिए.

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