28 सितंबर को विश्व स्तर पर सुरक्षित और कानूनी गर्भपात के लिए वैश्विक दिवस मनाने की घोषणा हुई है. इस एक दिन पहले ही भारत के साथ एक अहम उपलब्धि भी जुड़ जाएगी. (प्रतीकात्मक फोटो: getty)
इस फिल्म का नाम 'आई एम नॉट अलोन' यानी मैं अकेली नहीं रखा गया है. (प्रतीकात्मक फोटो: getty)
इस फिल्म का निर्माण एलजीबीटी, महिला सशक्तिकरण की क्षेत्र में काम करने वाली लव मैटर्स संस्था ने किया है.
फिल्म का निर्देशन नो वेयर मीडिया की गायत्री परमेस्वरन ने किया है. (प्रतीकात्मक फोटो: getty)
'आई एम नॉट अलोन' यानी 'मैं अकेली नहीं' कहानी है एक युवा लड़की महक की, जो गर्भपात के दर्द से गुजरती है.
इस फिल्म आभासी वास्तविकता यानी वर्चुअल रिएलिटी के जरिए ये दिखाने का प्रयास किया गया है कि किस तरह कोई लड़की गर्भपात के दर्द से गुजरती है और उस समय परिवार, दोस्त, पार्टनर और डॉक्टर कैसे पेश आते हैं और उन्हें कैसे पेश आना चाहिए. (प्रतीकात्मक फोटो: getty)
इस फिल्म का मकसद है कि बाकी महिलाएं भी गर्भपात के प्रति जागरूक हो सकें और अपने स्वास्थ्य, शरीर और जीवन से जुड़े निर्णय खुद ले सके.
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आपको बता दें कि भारत समेत कई देशों में गर्भपात एक संवेदनशील मुद्दा है. लोग इसके बारे में बात करने में शर्म, कलंक महसूस करते हैं और अधिकतर मामलों में चुप्पी साध लेते हैं. ऐसे में गर्भपात को लेकर जागरूकता की बेहद कमी है. (प्रतीकात्मक फोटो: getty)
यही वजह है कि अधिकतर महिलाओं असुरक्षित गर्भपात का रास्ता अपनाती हैं और उनमें उनकी जान तक चली जाती है. (प्रतीकात्मक फोटो: getty)
ऐसे में गर्भपात को महिलाओं का मूल अधिकार बताते हुए लव मैटर्स की वीथिका यादव कहती हैं कि यह फिल्म इस विषय पर चर्चा को सकारात्मक दिशा में लेकर जाएगी. (प्रतीकात्मक फोटो: getty)
आपको बता दें कि इस फिल्म को स्पेशल तरीके से रिलीज किया जा रहा है. दिल्ली के हौज खास के एंटी सोशल में 27 सितंबर को इसकी स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई है. (प्रतीकात्मक फोटो: getty)
यहां इस फिल्म को देखने के लिए स्पेशल 360 वर्चुअल रिएलिटी बूथ बनाया गया है. इस दौरान गर्भपात विषय पर चर्चा भी होगी.लव मैटर्स इससे पहले भी गर्भपात को लेकर जागरूकता के संबंध 2015 में #StepIntoOurShoes और 2017 में #ChoiceOverStigma कैंपेन चला चुका है. (प्रतीकात्मक फोटो: getty)