कोई भी नहीं, चाहे वह कोई व्यक्ति हो या समूह, दो एडल्ट की सहमति से हो रही शादी में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. भारत के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सोमवार को वयस्कों की शादी को लेकर ये बात कही है. कोर्ट ने खाप पंचायतों से पूछा कि आपको समाज का गार्जियन बनने का हक किसने दिया? आइए जानते हैं मामले से जुड़ी खास बातें...
कोर्ट ने ये भी कहा कि यहां कानून के आधार पर शादी की वैधता तय होगी, न कि गोत्र के आधार पर. दिलचस्प बात ये है कि कोर्ट में खाप पंचायतों के वकील नरेंद्र हूडा ने यह भी कहा कि खाप इंटर कास्ट शादियों को एन्करेज करती है.
हालांकि, हूडा ने आगे कहा- 'खाप सिर्फ सगोत्र शादियों का विरोध करती है. खाप शताब्दियों से चली आ रही परंपरा को बनाए रखना चाहती है. जेनेटिक साइंस में भी ऐसा कहा गया है.'
इस बात पर कोर्ट ने कहा कि आपको समाज का गार्जियन बनने का हक किसने दिया? खुद ही ये तय न करें. अगर कोई शादी कानून के मुताबिक, सही नहीं है तो उसे खारिज करने के लिए अदालतें मौजूद हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि खाप पंचायतों का काम शादी लीगल है या नहीं, ये तय करना नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि इंटर कास्ट शादियों से जुड़े अपराधों को लेकर केंद्र सरकार गंभीर नहीं है. इसके बाद एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा कि सरकार दो हफ्तों में जवाब दाखिल करेगी.