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क्यों किया था खिलजी ने चित्तौड़गढ़ पर हमला? जानें असली कहानी

aajtak.in
  • 17 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:36 PM IST
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फिल्म पद्मावती को लेकर चल रहा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. विरोध-प्रदर्शन के बीच आज चित्तौड़गढ़ किला बंद रहा. यह पहला मौका है जब किसी विवाद के कारण पर्यटकों के लिए चित्तौड़गढ़ किला बंद हुआ हो.

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बता दें कि चित्तौड़ वही किला है, जहां रानी पद्मावती ने जौहर किया था. इतिहासकारों की मानें तो 1303 में अलाउद्दीन खिलजी ने जब चित्तौड़ पर हमला किया तो अपने सम्मान की रक्षा के लिए यह कदम उठाया था.

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चित्तौड़ में आज भी वह जौहर कुंड मौजूद है. इतिहासकार भरत कुमार के मुताबिक, मलिक मोहम्मद जायसी ने पद्मावत नाम के काव्य में चित्तौड़गढ़ पर हुए हमले का जिक्र किया था.

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काव्य में बताया गया है कि राणा रतन सिंह ने रानी पद्मिनी की एक झलक अलाउद्दीन खिलजी को एक आइने में दिखाई थी, जिसके बाद अलाउद्दीन खिलजी चित्तौड़ को तहस-नहस करने पर उतावला हो गया.


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चित्तौड़गढ़ में ‘पद्मिनी महल’ के मुख्य द्वार पर भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) की बोर्ड पर यह बात लिखी हुई है.

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चित्तौड़गढ़ में जल महल भी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसी महल के कमरे में खिलजी को राणा ने पद्मिनी की एक झलक दिखाई थी. विवाद के बाद फिलहाल इस महल को सील कर दिया गया है.

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मालूम हो कि चित्तौड़गढ़ किला मेवाड़ के राजा राणा कुम्भा ने बनवाया था. 1303 में इस किले पर अलाउद्दीन खिलजी ने अपना साम्राज्य स्थापित किया. बाद में महाराणा उदयसिंह ने चित्तौड़ को दोबारा जीता.

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