भारतीय जनता पार्टी की दिग्गज नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार को निधन हो गया. दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था. वे कुछ समय से बीमार चल रहीं थीं. सुषमा स्वराज के लंबे राजनीतिक जीवन के बहुत से ऐसे किस्से हैं जिन्हें लोग याद कर रहे हैं. (File Photo)
एक प्रखर वक्ता और तेज तर्रार राजनेता के तौर पर सुषमा स्वराज के भाषण भी हमेशा चर्चा में रहे. संसद के दोनों सदनों में उनके धारदार और तार्किक भाषण विरोधियों को भी उनका मुरीद बना देते थे. एक ऐसा ही अवसर तब देखने को मिला जब शेर और शायरी के माध्यम से तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ उनकी जुगलबंदी संसद में हुई थी.
दरअसल, यह 2013 की बात है जब सुषमा स्वराज लोकसभा में विपक्ष की नेता थीं. उस समय सदन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए शेर पढ़ा, 'हमें है उनसे वफा की उम्मीद, जो नहीं जानते वफा क्या है.' इसके बाद सुषमा स्वराज ने दो शेर पढ़कर मनमोहन सिंह को जवाब दिया. (Photo- Twitter)
सुषमा स्वराज ने तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को मुखातिब होते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की एक शायरी का जवाब वे दो शेरों से देंगी. अपने पहले शेर में उन्होंने कहा, 'कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता.' सुषमा स्वराज ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री जी देश के साथ बेवफाई कर रहे हैं. (File Photo)
इसके बाद उन्होंने दूसरा शेर पढ़ा, 'तुम्हें वफा याद नहीं हमें जफा याद नहीं, जिंदगी और मौत के दो ही तराने हैं एक तुम्हें याद नहीं, एक हमें याद नहीं.' सुषमा स्वराज के इस शेर के बाद पूरे सदन का माहौल हल्का हो गया और संसद सदस्य हंस पड़े थे. (File Photo)
सुषमा स्वराज ने ऐसे कई मौकों पर संसद में अपने भाषण के दौरान शेरो-शायरी का उपयोग किया. उनके द्वारा दिए गए भाषण उनके विपक्षी भी ध्यान से सुनते थे. कठिन से कठिन बात को वह ऐसे लहजे में बोलती थीं कि हर कोई उनका मुरीद हो जाता था. (File Photo)