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इस राज्य में सबसे ज्यादा होते थे धारा 377 के केस, अब मिलेगी आजादी

अंकुर कुमार
  • 08 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 11:02 AM IST
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भारत में दो व्यस्क लोगों के बीच समलैंगिक संबंध अब अपराध नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने गे संबंधों को हरी झंडी दे दी है. (प्रतीकात्मक फोटो)

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कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी साफ किया कि धारा 377 के तहत अब सहमति से  समलैंगिक संबंध  अपराध नहीं होगा.  कोर्ट ने कहा कि बच्चों और जानवरों से अप्राकृतिक संबंध अब भी अपराध रहेगा. (प्रतीकात्मक फोटो)

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आपको बता दें कि अब तक धारा 377 के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश और केरल में होते थे.  (प्रतीकात्मक फोटो)

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आपको बता दें कि नंबर 1 पर उत्तर प्रदेश है. यहां उत्तर प्रदेश में 999 केस दर्ज हुए. (प्रतीकात्मक फोटो)

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वहीं दूसरे नंबर पर  केरल है, जहां 2016 में सबसे ज्यादा 377 धारा के केस दर्ज किए गए.(प्रतीकात्मक फोटो)

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टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2016 के आंकड़ों में केरल में 207 केस धारा-377 के तहत दर्ज किए गए.(प्रतीकात्मक फोटो)

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दक्षिण भारतीय राज्यों कर्नाटक में 8, आंध्र प्रदेश में 7 और तेलंगाना में 11 केस दर्ज हुए. तमिलनाडु में एक भी केस दर्ज नहीं हुआ. (प्रतीकात्मक फोटो)

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सेक्शन-377 के तहत केरल में प्रति एक लाख पर दर्ज होने वाले केसों के आपराधिक आंकड़े देश में सर्वाधिक हैं. यहां पर  सेक्शन-377 का क्राइम रेट 0.6 फीसदी है जबकि उत्तर प्रदेश में 0.5 प्रतिशत है. दिल्ली में यह रेट 0.8 फीसदी है. (प्रतीकात्मक फोटो)

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स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के एसपी राजू एएस ने बताया है कि आदमी, औरत या जानवर से अप्राकृतिक सेक्स करने पर यह धारा-377 लगाई जाती है. इस धारा के अंतर्गत दोषी को आजीवन कारावास या अन्य कारावास के साथ जुर्माने तक का प्रावधान है. (प्रतीकात्मक फोटो)

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केरल में सबसे ज्यादा केस दर्ज होने के पीछे अधिकारियों का मानना है कि यहां कई इलाकों में गे सेक्स बहुत सामान्य है. (प्रतीकात्मक फोटो)

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उन्होंने बताया कि यहां पर कई लोग ऐसे हैं जो रुपये लेकर सेक्स करते हैं. पता चलने पर लोग उनके ख‍िलाफ केस दर्ज करा देते हैं.  (प्रतीकात्मक फोटो)

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कई केसों में समस्या बढ़ेगी. सहमति का क्लॉज साबित करना काफी कठ‍िन होगा.  (प्रतीकात्मक फोटो)

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आपको बता दें कि सेक्शन 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध सबसे ज्यादा केरल से निकल कर आया है. यहां के मुस्ल‍िम संगठनों ने फैसले का विरोध किया है. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार सुन्नी मुस्ल‍िम लीडर और केरल मुस्ल‍िम जमात कंथापुरम के अध्यक्ष एपी अबूबकर मुसलियार ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का रिव्यू करने के बाद इस मामले में कोर्ट या प्रधानमंत्री से बात कर सकते हैं. वहीं केरल के कैथॅालिक बिशप काउंसिल ने भी फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. (प्रतीकात्मक फोटो)

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