षड्यंत्र, आरोप, गिरफ्तारी और फिर कोर्ट की तारीख दर तारीख....यह किसी अपराधी की नहीं बल्कि देश के एक जानेमाने वैज्ञानिक की कहानी का हिस्सा है. एक आरोप ने इस वैज्ञानिक की जिंदगी बदल दी. आरोप भी कोई छोटा नहीं बल्कि देश के खिलाफ जासूसी का.
इस वैज्ञानिक की कहानी में सस्पेंस, ड्रामा और बहुत कुछ है. इस वैज्ञानिक का नाम है नंबी नारायण. आइए जानते हैं इसरो के पूर्व वैज्ञानिक की दिलचस्प कहानी.
इसके बाद गिरफ्तारी हुई नवंबर 1994 में. तिरुवनंतपुरम में इसरो के प्रमुख वैज्ञानिक और क्रायोजनिक प्रॉजेक्ट के डायरेक्टर नंबी नारायणन समेत दो वैज्ञानिकों डी शशिकुमारन और डिप्टी डायरेक्टर के चंद्रशेखर को अरेस्ट किया गया. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसके साथ ही रूसी स्पेस एजेंसी के भारतीय प्रतिनिधि एस के शर्मा, एक लेबर कॉन्ट्रैक्टर और राशिदा की मालदीव की दोस्त फौजिया हसन को भी गिरफ्तार किया गया था.
इन सभी पर पाकिस्तान को इसरो रॉकेट इंजन की खुफिया जानकारी और अन्य जानकारी दूसरे देशों के देने के आरोप थे. इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों ने नारायणन से पूछताछ शुरू कर दी. नारायणन ने आरोपों का खंडन किया और इसे गलत बताया.
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि नंबी नारायणन की गिरफ्तारी के दौरान एक इंटेलिजेंस अधिकारी ने कहा था कि सर मैं अपनी ड्यूटी कर रहा हूं और अगर आपके निर्दोष होने का दावा सही साबित होगा तो आप मुझे अपनी चप्पल से मारिएगा.
1998 में सुप्रीम कोर्ट फिर से जांच के आदेश को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने जासूसी मामले में मुक्त होने के बाद नंबी नारायण को एक लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था.
बाद में नंबी नारायण ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया और राज्य सरकार से मुआवजे की मांग की. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मार्च 2001 में नंबी नारायण को दस लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया.
राज्य सरकार द्वारा इस आदेश को चुनौती देने के बाद हाई कोर्ट ने सितंबर 2012 में राज्य सरकार को नारायणन को 10 लाख रुपये देने के आदेश दिया. अब जासूसी कांड में दोषमुक्त किए गए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व वैज्ञानिक को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. नंबी नारायण को फंसाने के मामले में केरल के पुलिस अफसरों की भूमिका को लेकर न्यायिक कमेटी का गठन किया गया है.
दरअसल सिबी मैथ्यू ने ही इस जासूसी कांड की जांच की थी. नंबी नारायण ने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि डीजीपी सिबी मैथ्यू और दो रिटायर्ड पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की कोई जरुरत नहीं है. इन अफसरों को सीबीआई ने नंबी नारायण की गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार बताया था.
आपको बता दें कि बॉलिवुड एक्टर आर माधवन वैज्ञानिक नंबी
नारायण की जिंदगी पर बनने वाली फिल्म में उनका किरदार निभा सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता अनंत महादेवन वैज्ञानिक नंबी
नारायण की जिंदगी पर फिल्म बनाने वाले हैं. यह फिल्म हिंदी, इंग्लिश और तमिल में बनने वाली है.