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17 साल में बनकर तैयार हुआ था राष्ट्रपति भवन, 300 परिवार हुए थे बेदखल

aajtak.in
  • 17 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 4:12 PM IST
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राष्ट्रपति किसी भी देश का पहला सदस्य कहलाता है. देश के राष्ट्रपति राष्ट्रपति भवन में रहते हैं. हम आपको बता रहे हैं राष्ट्रपति भवन के बारे में ये खास बातें.

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राष्ट्रपति भवन को राष्ट्रपति निवास के नाम से भी जाना जाता है. यह 2,00,000 (2 लाख) स्क्वायर फुट जगह में बना हुआ है. इस इमारत में 340 कमरे हैं. जिसके निर्माण में 700 मिलियन ईंटों का इस्तेमाल किया गया था.

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इसे बनाने का फैसला दिसंबर 1911 में उस समय किया गया था जब भारत की राजधानी को कलकत्ता से बदलकर दिल्ली बनाए जाने का फैसला हुआ था.

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इसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लैंडसीर लुटियंस ने डिजाइन किया था.

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लुटियंस बहुत जाने माने आर्किटेक्ट थे और दिल्ली में उन्होंने बहुत सी इमारतों को डिजाइन किया था. उनके योगदान की वजह से नई दिल्ली को 'लुटियंस' दिल्ली भी कहा जाता है.

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इसे बनाने के लिए 4000 एकड़ जमीन ली गई. इसे रायसीना हिल्स पर बनाया गया है. जहां पहले रायसीना और माल्चा नाम के गांव हुआ करते थे और यहां लगभग 300 परिवार रहते थे.

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इसके निर्माण में 17 साल का समय लगा था. इसे बनाने का काम साल 1912 में हुआ था और 1929 में यह बनकर तैयार हुआ था.

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इसे पहले वायसराय हाउस नाम से जाना जाता था लेकिन साल 1950 में राजेंद्र प्रसाद के राष्ट्रपति बनने के बाद इसका नाम बदल दिया गया था.

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राष्ट्रपति भवन में बहुत से हॉल और कमरे हैं जिनमें दरबार हॉल और अशोका हॉल सबसे ज्यादा मशहूर हैं. अशोका हॉल सबसे खूबसूरत हॉल्स में शुमार है. इसमें वुडन फ्लोरिंग है और इस हॉल की छत पर पर्शियन पेंटिंग्स बनी हुई हैं.

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भारत के 11वें राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के कार्यकाल में राष्ट्रपति भवन में बने मुगल गार्डन में एक छोटी सी हट (झोपड़ी) बनाई गई थी, जहां वो अपनी शाम और सुबह का समय बिताते थे. बाद में उसे हटा दिया गया था.

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