ऑनलाइन कपड़े धोकर बनाई 160 करोड़ की कंपनी, 20 लाख से शुरू किया था बिजनेस

क्या आपने कभी कल्पना की थी कि आपके कपड़ों की धुलाई ऑनलाइन होगी. वैसे बहुत से लोग वॉट्सऐप और फोन करके अपने धोबी से कपड़े धुलवाते होंगे, लेकिन कुछ लोग इस पूरी प्रक्रिया को बिजनेस मॉडल में बदल देते हैं. ऐसा ही कुछ UClean के जरिए अरुणाभ सिन्हा ने किया है. 20 लाख रुपये से शुरू हुआ उनका ये सफर आज 160 करोड़ रेवेन्यू वाली कंपनी में बदल गया है.

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UClean की शुरुआत 2016 में हुई थी और आज कंपनी के 800 स्टोर हैं. (Photo: Unsplash) UClean की शुरुआत 2016 में हुई थी और आज कंपनी के 800 स्टोर हैं. (Photo: Unsplash)

अभिषेक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:04 PM IST

ऑनलाइन हो चुकी इस दुनिया में तमाम काम अब इंटरनेट और फोन के सहारे हो रहे हैं. कब किसी ने सोचा रहा होगा कि कपड़े भी आप ऑनलाइन धुलवा सकेंगे. अब ऐसा हो रहा है. कई ऐसी कंपनियां हैं, जो शहरों में ऑनलाइन ड्राई-क्लिनिंग और लॉन्ड्री की सुविधा देती हैं. ऐसा ही एक ब्रांड UClean है, जिसके CEO अरुणाभ सिन्हा से हमने बातचीत की.

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अरुणाभ ने IIT बॉम्बे से मेटलर्जी और मटेरियल साइंस में इंजीनियरिंग की. जापान की एक यात्रा के दौरान उन्हें UClean का आइडिया आया और 2016 में उन्होंने इसकी शुरुआत की. 20 लाख रुपये से शुरू हुआ उनका ये सफर आज 160 करोड़ रुपये के ग्रॉस रेवेन्यू पर पहुंच गया है.

फिलहाल UClean का हेडक्वार्टर फरिदाबाद में है और 200 से ज्यादा शहरों में उनके कुल 800 स्टोर हैं. आइए जानते हैं ऑनलाइन लॉन्ड्री का ये बिजनेस किस तरह से आपकी मदद कर सकता है. 

ऑनलाइन कपड़े धुलवाना कैसे संभव है?

अरुणाभ ने बताया, 'बिल्कुल संभव है. यूजर्स UClean ऐप, Website या WhatsApp से पिक-अप स्लॉट चुनते हैं. हमारा एक्जीक्यूटिव दरवाजे से कपड़े लेता है. हर गारमेंट को बारकोड टैग किया जाता है. प्रॉसेसिंग के बाद 24 से 48 घंटे में डिलीवरी और डिजिटल पेमेंट, पूरी जर्नी रियल-टाइम ट्रैकिंग के साथ पूरी होती है.'

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किन लोगों के लिए है ये बेहतर विकल्प?  

उन्होंने बताया कि ये सर्विस शहरी परिवारों, प्रोफेशनल्स और स्टूडेंट्स के लिए बेहतर विकल्प है. इससे समय और मेहनत बचती है. प्री-बुक्ड स्लॉट, ऑफिस, घर या हॉस्टल से पिक-अप करके कपड़ों की धुलाई और फिर आपके डोर स्टेप पर डिलीवरी. ये पूरी प्रक्रिया समय और मेहनत दोनों बचाती है. इसकी वजह से वीकएंड फ्री रहता है और कपड़े प्रेस होकर तैयार मिलते हैं.

क्या ये सर्विस टियर-2-3 में भी उपलब्ध है?

अरुणाभ का कहना है, 'UClean का मॉडल नेबरहुड-फर्स्ट है. आज हम भारत में 200 शहरों में अपना फ्रेंचाइजी मॉडल के माध्यम से काम कर रहे हैं. इसमें बहुत सारे छोटे गांव और देहात हैं जहां की आबादी पचास हजार से भी कम है. इसके अलावा हमने अंतरराष्ट्रीय विस्तार भी शुरू कर दिया है. भारत के अलावा अब हम UAE, कतर, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश के अलावा अफ्रीकी देशों में अपनी सेवाएं ऑफर कर रहे हैं.'

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कीमत कैसे तय होती है?

उन्होंने बताया कि यूजर्स को ट्रांसपैरेंट रेट-कार्ड दिया जाता है. यूजर्स को वॉश-एंड-आयरन पर किलोग्राम और हर कपड़े की ड्रायक्लीन का रेट दिया जाता है. एक मिनिमम ऑर्डर तय किया गया है, जिसके ऊपर फ्री पिक-अप डिलीवरी मिलती है. कोई हिडन फीस नहीं होती है और यूजर्स अपने हिसाब से पिकअप और डिलीवरी टाइम चुन सकते हैं.

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डिजिटल लॉन्ड्री को क्या लोग स्वीकार कर रहे

जहां धोबी या घर पर कपड़े धोना जैसी आदत लोगों की लाइफस्टाइल का हिस्सा है. उसमें डिजिटल लॉन्ड्री अपनाने के रास्ते की सबसे बड़ी चुनौती ट्रस्ट और ट्रायल है. लोग कीमती कपड़ों के प्रति संवेदनशील होते हैं. लोगों को भरोसा दिलाने के लिए हम पहली बार ट्रायल ऑफर, गारमेंट-इंश्योरेंस जैसी पॉलिसीज, लाइव ट्रैकिंग, लोकल स्टोर विजिबिलिटी और री-डू गारंटी जैस ऑफर देते हैं.

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