क्या फेल हो रहा है AI? MIT की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा- 95% प्रोजेक्ट्स नाकाम

क्या AI का बुलबुला अब फूटने वाला है? ये सवाल MIT की हाल में आई रिपोर्ट के बाद उठ रहा है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में कंपनियां AI पर बड़ा दांव लगा रही हैं, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल रही है. 95 फीसदी पायलट प्रोजेक्ट्स सफल नहीं हुए हैं. सिर्फ 5 परसेंट ही प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जो अपना मकसद पूरा कर पाए हैं.

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क्या फूट जाएगा AI का बुलबुला? (Photo: Unsplash) क्या फूट जाएगा AI का बुलबुला? (Photo: Unsplash)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 7:32 AM IST

AI की एंट्री के बाद दुनिया भर की तमाम कंपनियों ने इस टेक्नोलॉजी पर फोकस करना शुरू कर दिया. हालांकि, इस मामले से जुड़ी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. कंपनियां AI पर बड़ा दांव लगा रही हैं, लेकिन इसके बाद भी लगभग सभी एंटरप्राइसेस के पायलट प्रोजेक्ट अभी शुरुआती दौर में ही हैं. 

MIT ने The GenAI Divide: State of AI in Business 2025 रिपोर्ट जारी की है. इसमें बताया गया है कि जेनरेटिव AI पर एंटरप्राइसेस ने बड़ा दांव लगाया है, लेकिन तेजी से रेवेन्यू बढ़ाने की शुरुआत सफल होती नहीं दिख रही है. 

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यानी AI के आने के बाद कंपनियों को लग रहा था कि उनका रेवेन्यू तेजी से बढ़ेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पॉवरफुल नए मॉडल्स को इंटीग्रेट करने के बाद भी लगभग 5 फीसदी AI पायलट्स प्रोग्राम ही सफल हुए हैं. कंपनियों ने AI को एडॉप्ट करने में तेजी तो दिखाई, लेकिन ज्यादा कंपनियों को इसका फायदा नहीं मिला है. 

क्यों फेल हो रहा AI इंटीग्रेशन?

इसकी वजह अनरियल एक्सपेटेशन, खराब इंटीग्रेशन और स्पेशल एडॉप्शन की कमी बताई गई है. इस रिपोर्ट के आने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या AI इंडस्ट्री का हाल एक बुलबुले जैसा होगा. पिछले कई सालों से लोगों को बताया जा रहा था कि ChatGPT, Claude और Gemini जैसे AI टूल्स वर्कप्लेस के काम करने के तरीके को बदल सकते हैं. 

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ऑटोमेटेड कंटेंट क्रिएशन से लेकर कस्टमर सर्विस चैटबॉट तक हर सेक्टर में अंदाजा लगाया जा रहा था कि AI आने वाले दिनों में कॉस्ट को कम करेगा और प्रोडक्टिविटी को बढ़ाएगा. मगर MIT के रिसर्च में लोगों की धारणा और बिजनेसेस के आउटकम में काफी अंतर नजर आ रहा है. 

सिर्फ 30 परसेंट काम ही कर पाएगा AI

टेस्ट में पाया गया है कि एडवांस AI मॉडल्स सिर्फ 30 परसेंट ही ऑफिस टास्क को हैंडल को भरोसे के साथ संभाल सकते हैं. आगे का काम इंसानों को ही करना होगा. हालांकि, इंडीविजुअल लेवल पर AI टूल्स का लोगों को फायदा जरूर मिलेगा. 

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MIT की स्टडी में पाया गया है कि एंटरप्राइज स्तर पर AI एडॉप्शन के फेल होने का कारण लर्निंग गैप है. कंपनियां तेजी से AI को लागू कर रही हैं, लेकिन ज्यादातर ने इन टूल्स को अपने हिसाब से बनाने में इन्वेस्ट नहीं किया. ये टूल्स बड़े LLMs पर तैयार किए गए हैं, जो खास जरूरतों को पूरा करने के लिए नहीं बनाए गए हैं.

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