इजरायल-ईरान वॉर में खूब वायरल हुईं सैटेलाइट फोटोज, कितनी होती है इनकी कीमत?

Satellite Images of Israel-Iran : सेटेलाइट इमेज की मदद से युद्ध वाले इलाके की सिचुएशन को जान सकते हैं और चेक कर सकते हैं कि पहले की तुलना में अब वहां की इमारतों का हाल क्या है. सेटेलाइट इमेज प्रोवाइड कराने के लिए ढेरों पोर्टल हैं, जो सेटेलाइट की मदद से इमेज रिकॉर्ड करते हैं. आइए इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं.

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सेटेलाइट में दिखाया गया ईरान का न्यूक्लियर प्लांट. यह इमेज 14 जून की है.  (Maxar Technologies/Handout via REUTERS) सेटेलाइट में दिखाया गया ईरान का न्यूक्लियर प्लांट. यह इमेज 14 जून की है. (Maxar Technologies/Handout via REUTERS)

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 24 जून 2025,
  • अपडेटेड 12:28 PM IST

Satellite Images of Israel-Iran ceasefire: इजरायल और ईरान के बीच सीजफायर का ऐलान हो गया. युद्ध के दौरान कई वीडियो और फोटो सामने आए थे. दोनों देशों की मौजूदा स्थिति को दिखाने के लिए कई वेबसाइट, न्यूज चैनल्स और Youtube चैनल्स आदि सेटेलाइट इमेज का यूज कर रहे थे. आज आपको बताते हैं कि युद्ध के दौरान लाइव सेटेलाइट्स इमेज कहां से आती हैं और क्या उसे आम लोग भी एक्सेस कर सकते हैं? 

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सेटेलाइट इमेज की मदद से युद्ध या सीजफायर के बाद उन इलाके की कंडिशन जान सकते हैं और चेक कर सकते हैं कि पहले की तुलना में अब वहां की इमारतों का हाल क्या है. कई हजार किलोमीटर ऊपर से सेटेलाइट इमेज ली जाती हैं. सेटेलाइट इमेज प्रोवाइड कराने के लिए ढेरों पोर्टल हैं, जिसमें Maxar Technologies, Planet Labs, Airbus Defence and Space और BlackSky जैसे नाम शामिल हैं. 

कंपनियों के पास खुद की सेटेलाइट होती है

सेटेलाइट इमेज प्रोवाइडर्स कंपनियों के पास खुद के सेटेलाइट्स होते हैं या फिर वह दूसरी सेटेलाइट कंपनियों के साथ पार्टनरशिप करते हैं. पृथ्वी के वातावरण की निचली कक्षा में कुछ सेटेलाइट का एक ग्रुप बनाया जाता है. इनकी मदद से लगातार किसी देश या शहर को ट्रैक किया जाता है. सर्वर इन इमेज को रिकॉर्ड करता है और स्टोर करता है. जब भी कोई सब्सक्राइबर इमेज या वीडियो की मांग करता है, तो उनसे एक बड़ी रकम लेकर वह इमेज प्रोवाइड करा दी जाती. 

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देख सकते हैं कंपेरेशन 

सेटेलाइट इमेज के जरिए आप मौजूदा स्थिति और पुरानी कंडिशन की तुलना कर सकते हैं. सेटेलाइट इमेज इतनी क्लियर होती हैं, जिनकी मदद से आप रॉकेट अटैक के बाद बर्बाद हुई इमारत को आसानी से देख सकते हैं. 

ऊपर दी गई इमेज AP के जरिए जारी की गई Maxar टेक्नोलॉजीज की फोटो है. इसमें दो फोटो का कॉम्बो है, जिसमें इमेज की तुलना की गई है. 

इस फोटो के साथ जारी कैप्शन में बताया गया है कि यह फोटो 18 जून 2025 की है. यह फोटो ईरान के अराक हेवी वॉटर रिएक्टर बिल्डिंग की है. नीचे वाली फोटो में इजरायल द्वारा किए गए एयर स्ट्राइक के बाद का अराक हेवी वॉटर रिएक्टर बिल्डिंग को दिखाया है. नीचे वाली इमेज में साफ देखा जा सकता है कि एक बड़ी सी इमारत के बीचोंबीच हमला करके उसको नुकसान पहुंचाया है. 

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ऐसे तय होते हैं चार्जेस 

सेटेलाइट इमेज प्रोवाइडर्स की तरफ से फोटो की कीमत तय की जाती है. हर एक फोटो की कीमत अलग-अलग होती है. कीमत निर्धारित करने के पीछे कई पहलू होते हैं, जैसे लोकेशन और पिक्चर का रेजुलेशन आदि. सब्सक्रिप्शन और वन टाइम पेमेंट करने वालों के लिए अलग -अलग कीमत होती है. एक रिपोर्ट्स के मुताबिक, Maxar Technologies के पिक्चर की शुरुआती कीमत करीब 3 लाख रुपये होती है. 

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कई फोटो एजेंसियां करती हैं टाइअप 

दुनियाभर में बहुत सी फोटो एजेंसियां हैं, जिसमें AP, AFP, Reuters और PTI आदि के नाम शामिल हैं. इन एजेंसियों के दुनियाभर में सब्सक्राइबर मौजूद होते हैं. ये एजेंसियां अपने सब्सक्राइबर्स की जरूरत के लिए सेटेलाइट लाइव इमेज को Maxar टेक्नोलॉजीज जैसी कंपनियों से खरीदती हैं. इसके बाद एजेंसियां अपने सब्सक्राइबर के लिए इन सेटेलाइट इमेज को जारी करती हैं. 

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