सरकार ने नए टेलीकम्युनिकेशन बिल में तमाम टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को राहत दी है. दरअसल, इस साल की शुरुआत में ट्राई ने नए टेलीकॉम बिल में CNAP (कॉलर नेम प्रजेंटेशन) की अनिवार्य करने का प्रपोजल दिया था. ये क्लॉज टेलीकॉम बिल के ड्राफ्ट में भी मौजूद था, जिसे फाइनल वर्जन में हटा लिया गया है.
नया टेलीकॉम बिल पास हो चुका है. इस बिल से CNAP को अनिवार्य करने वाले पॉइंट को हटा लिया गया है. इस फीचर की वजह से यूजर को किसी कॉल के आने पर नंबर के साथ ही कॉलर का नाम भी दिखता. दरअसल, कंपनियों को नंबर के रजिस्टर नाम को शो करना था.
हालांकि, इस सर्विस का टेलीकॉम कंपनियों ने शुरू से विरोध किया था. रिपोर्ट्स की मानें तो टेलीकॉम बिल से इस फीचर को प्राइवेसी की दिक्कतों और डेटा ब्रीच के रिस्क को ध्यान में रखते हुए हटाया गया है. टेलीकॉम कंपनियों के लिए ये कदम राहत देने वाला है. क्योंकि इसकी वजह से कंपनियों पर इंफ्रास्ट्रक्चर कॉस्ट का बोझ बढ़ता.
इसके अलावा CNAP फीचर को लागू करने का मतलब है कि कॉल फ्लो में बदलाव करना पड़ता. इसके लिए लंबी कॉल सेटअप करनी पड़ती, जिसका प्रभाव सीधा क्वालिटी पर पड़ता. जहां TRAI इस फीचर को अनिवार्य करने का सुझाव दे रहा था. वहीं डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इसे प्राइवसी कारणों से लागू नहीं करना चाहता था.
इस कदम का फायदा सिर्फ टेलीकॉम कंपनियों को ही नहीं होगा, बल्कि Truecaller जैसे ऐप्स को भी इसका फायदा होगा. अगर CNAP सर्विस लागू हो जाती तो Truecaller जैसे ऐप्स की किसी को जरूरत ही नहीं पड़ती. कॉलर ID के लिए ट्रूकॉलर का इस्तेमाल बड़ी संख्या में लोग करते हैं. ये ऐप काफी ज्यादा पॉपुलर है.
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हालांकि, ये ऐप उस तरह से काम नहीं करता है, जिस तरह से CNAP को करना था. जहां CNAP में आपको सिम खरीदते वक्त रजिस्टर नाम दिखता. वहीं ट्रूकॉलर यूजर के डेटा पर काम करता है. यानी किसी का नाम ट्रूकॉलर के डेटा बेस में किस नाम से सेव है या फिर किसी कॉन्टैक्ट ने उस नंबर को किस नाम से सेव किया है. ऐप उस नाम को दिखाता है.
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