टोल बूथ पर रुकने का झंझट खत्म! आ रहा है AI टोल सिस्टम, नितिन गडकरी ने समझाया पूरा प्लान

टोल बूथ पर आपने भी ट्रैफिक जाम फेस किया ही होगा. टोल कलेक्शन Fastag के जरिए होता है और कई बार मशीन काम ना करने की वजह से लोगों को परेशानी होती है. अब AI टोल कलेकशन सिस्टम आने वाले है. आइए जानते हैं ये कैसे करेगा काम.

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नितिन गडकरी ने बताया कैसे काम करेगा AI टोल सिस्टम नितिन गडकरी ने बताया कैसे काम करेगा AI टोल सिस्टम

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 17 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:26 PM IST

हाईवे पर सफर करने वालों के लिए आने वाले सालों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. टोल प्लाजा पर लंबी लाइनों, रुक-रुक कर चलने वाली गाड़ियों और समय की बर्बादी को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार अब AI बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम लाने की तैयारी में है.

ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी ने संसद में बताया है कि सरकार 2026 के अंत तक पूरे देश में मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोलिंग सिस्टम (MLFF) लागू करने का लक्ष्य लेकर चल रही है.

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सरकार का कहना है कि यह सिस्टम मौजूदा FASTag व्यवस्था से एक कदम आगे होगा, जहां टोल देने के लिए गाड़ी को धीमा करने या रोकने की जरूरत नहीं पड़ेगी. वाहन चलते-चलते ही टोल कट जाएगा और सफर पूरी तरह बिना रुकावट के होगा.

क्यों बदला जा रहा टोल सिस्टम?

बीते कुछ सालों में FASTag ने टोल कलेक्शन को डिजिटल जरूर बना दिया, लेकिन जमीन पर दिक्कतें पूरी तरह खत्म नहीं हुईं. कई टोल प्लाजा पर आज भी जाम लगना, टैग स्कैन न होना, बैरियर खुलने में देरी और लेन बदलने की वजह से ट्रैफिक रुकने जैसी समस्याएं सामने आती रही हैं.

नितिन गडकरी ने संसद में कहा कि देश में नेशनल हाईवे नेटवर्क लगातार बढ़ रहा है और ट्रैफिक भी तेज़ी से बढ़ा है. ऐसे में पुराने टोल मॉडल से न तो समय की बचत हो पा रही है और न ही फ्यूल की. इसी वजह से सरकार अब बैरियर-फ्री और पूरी तरह डिजिटल टोलिंग सिस्टम की तरफ बढ़ रही है.

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क्या है मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोलिंग सिस्टम?

नया सिस्टम मल्टी-लेन फ्री फ्लो, यानी MLFF मॉडल पर आधारित होगा. इसमें ट्रेडिशनल टोल बूथ नहीं होंगे. उनकी जगह हाईवे पर एक खास पॉइंट पर गैन्ट्री लगाए जाएंगे, जिन पर हाई-रिजॉल्यूशन कैमरे और सेंसर लगे होंगे.

जब कोई गाड़ी उस पॉइंट से गुजरेगी, तो AI बेस्ड सिस्टम वाहन की नंबर प्लेट को पढ़ेगा और उसे FASTag या उससे जुड़े अकाउंट से मैच करेगा. इसके बाद टोल की रकम अपने आप कट जाएगी. इस पूरी प्रक्रिया में गाड़ी की स्पीड कम करने की जरूरत नहीं होगी.

सरकार का दावा है कि यह सिस्टम हाईवे पर 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे वाहनों को भी बिना किसी रुकावट के पहचान सकता है.

FASTag रहेगा या हट जाएगा?

सरकार ने साफ किया है कि FASTag फिलहाल खत्म नहीं किया जा रहा. नया AI बेस्ड सिस्टम FASTag के साथ मिलकर काम करेगा. यानी यूजर को अलग से कोई नया टैग लगाने की जरूरत नहीं होगी.

AI कैमरे नंबर प्लेट को पहचानेंगे और FASTag डेटाबेस से उसे जोड़कर टोल वसूली करेंगे. भविष्य में सिस्टम को और ज्यादा ऑटोमेटेड बनाया जा सकता है, लेकिन शुरुआती दौर में FASTag ही इस पूरे ढांचे की रीढ़ रहेगा. इसके लिए जीपीएस भी यूज होगा. 

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आम लोगों को क्या फायदा होगा?

सरकार का कहना है कि इस सिस्टम से सबसे बड़ा फायदा आम यात्रियों को मिलेगा. टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत खत्म होने से ट्रैवल टाइम कम होगा और फ्यूल की भी बचत होगी. बार-बार ब्रेक लगाने और गाड़ी स्टार्ट करने से होने वाला ईंधन खर्च भी घटेगा.

इसके अलावा सरकार को उम्मीद है कि टोल कलेक्शन में लीकेज रुकेगा और राजस्व बढ़ेगा. गडकरी के मुताबिक, बेहतर टोल सिस्टम से हर साल हजारों करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी हो सकती है, जिसे सड़कों और हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर में दोबारा लगाया जाएगा.

क्या प्राइवेसी को लेकर चिंता है?

AI और कैमरों के इस्तेमाल को लेकर प्राइवेसी से जुड़े सवाल भी उठते रहे हैं. सरकार का कहना है कि यह सिस्टम केवल टोल कलेक्शन और ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए होगा. वाहन डेटा को सुरक्षित सर्वर पर रखा जाएगा और उसका इस्तेमाल तय नियमों के तहत ही किया जाएगा.

सरकार का दावा है कि डेटा प्रोटेक्शन से जुड़े सभी नियमों का पालन किया जाएगा और किसी भी तरह की निगरानी का दुरुपयोग नहीं होगा.

कब तक दिखेगा जमीन पर असर?

नितिन गडकरी के मुताबिक, सरकार चरणबद्ध तरीके से इस सिस्टम को लागू करेगी. कुछ हाईवे कॉरिडोर पर पहले इसे पूरी तरह रोलआउट किया जाएगा और उसके बाद इसे देशभर में फैलाया जाएगा. लक्ष्य है कि 2026 के अंत तक नेशनल हाईवे नेटवर्क पर AI-आधारित डिजिटल टोलिंग सिस्टम पूरी तरह लागू हो जाए. 

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