ई-एजेंडा: सुशांत सरीन बोले- चीन और पाकिस्तान पर हम विश्वास ही क्यों करते हैं कि विश्वासघात हो

ई-एजेंडा कार्यक्रम की सीरीज में सुरक्षा सभा में ओआरएफ के सीनियर फेलो सुशांत सरीन ने कहा कि विश्वासघात केवल भारत के साथ क्यों होता है. न तो हम पश्चिमी बॉर्डर पर पाकिस्तानियों को समझ पाएं और पूर्वी सीमा पर चीन को. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वास क्यों किया जाता है.

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ओआरएफ के सीनियर फेलो सुशांत सरीन ओआरएफ के सीनियर फेलो सुशांत सरीन

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 जून 2020,
  • अपडेटेड 12:45 PM IST

  • सुशांत सरीन बोले- कूटनीति से ही बनेगी बात
  • चीन-पाकिस्तान पर विश्वास न करने की सलाह

चीन से जारी तनातनी के बीच आजतक ने ई-एजेंडा कार्यक्रम की सीरीज में 'सुरक्षा सभा' का आयोजन किया है. इस दौरान चीन से कूटनीति पर बात करते हुए ओआरएफ के सीनियर फेलो सुशांत सरीन ने कहा कि विश्वासघात केवल भारत के साथ क्यों होता है. न तो हम पश्चिमी बॉर्डर पर पाकिस्तानियों को समझ पाएं और पूर्वी सीमा पर चीन को.

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ओआरएफ के सीनियर फेलो सुशांत सरीन ने कहा कि चीन के साथ कूटनीति से ही बात बनेगी. अगर कूटनीति से बात नहीं बनी तो हालात किस करवट बैठेगा यह कहना मुश्किल है. जंग की बात करना बहुत आसान होता है, लेकिन कोई सरकार तब तक उस नीति को लागू नहीं करेगी, जबतक पानी सिर से उपर नहीं जाता है.

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सुशांत सरीन ने कहा कि भारत और चीन की सरकारों के बीच मेरे ख्याल से जंग को लेकर कोई सवाल नहीं है. दोनों ओर से आंखें दिखाई जा रही हैं. अगर भारत दृढ़निश्चय करके बैठा रहे और पहले की यथास्थिति बनाए रखने पर अडिग रहे तो यही एक मात्र हल है. अगर नहीं होता है तो बॉर्डर पर शांति की जो बातें हम सुनते आए हैं, वह बेमानी हो जाएगी.

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चीन से विवाद पर सुशांत सरीन ने कहा कि भारत को और दबाव बनाने की जरूरत है. विश्वासघात केवल भारत के साथ क्यों होता है. न तो हम पश्चिमी बॉर्डर पर पाकिस्तानियों को समझ पाएं और पूर्वी सीमा पर चीन की बड़ी एक्साइज हुई थी. हमने उन पर विश्वास क्यों किया.

सवाल उठाते हुए सुशांत सरीन ने कहा कि क्या कारण है कि हमारे साथ विश्वासघात होता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर जिन देशों के साथ हमारा विवाद है, उनके साथ हम जंग लड़ चुके हैं और गाहे-बगाहे उनके साथ सीमा पर विवाद है, हम उन देशों पर विश्वास क्यों करते हैं.

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चीन सीमा विवाद पर ओआरएफ के सीनियर फेलो सुशांत सरीन ने कहा कि भारत को और भी संकेत देने की जरूरत है, जो भारत ने उस लिहाज से नहीं दिए हैं, जिस लिहाज से देना चाहिए. सरकारी कंपनी बीएसएनएल जितना चीनी माल वो खरीदती है, मेरे ख्याल से उतना माल और कोई कंपनी नहीं खरीदती है.

सुशांत सरीन ने कहा कि चीन से बीएसएनएल इतना सामना क्यों खऱीदती है, यह समझ से परे है. दूसरी बात कि दुनिया भर में हुआवे के उपर एक लिहाज से प्रतिबंद लग रहे हैं और 5जी के ट्रायल उनको नहीं करने दिए जा रहे हैं, लेकिन भारत में उनको वह भी इजाजत दे दी गई है. मेरे ख्याल से कहीं न कहीं आपको इस तरह के संकेत भी देने पड़ेंगे.

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