मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को 'क्रिकेट का भगवान' कहा जाता है. इसकी एक झलक 1998 में शारजाह के मैदान में देखने को मिली थी. 23 साल पहले आज ही के दिन ' सचिन तेंदुलकर' ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 131 गेंदों पर 143 रनों की तूफानी पारी खेली थी. इस पारी को 'डेजर्ट स्टॉर्म' के नाम से भी जाना जाता है.
दरअसल, जब भारत ऑस्ट्रेलिया के 285 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रहा था, तो उसी समय शारजाह में रेतीला तूफान आ गया और स्कोर को छोटा कर दिया गया. लेकिन, जब तूफान रुका तो मैदान के अंदर 'सचिन तेंदुलकर' नाम का तूफान आया, जिसने पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम को उड़ा दिया.
सौरव गांगुली के साथ ओपनिंग करने उतरे सचिन ने मानो मन में कुछ ठान रखा हो. सचिन ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को जिस तरह खेलना शुरू किया वो गुस्सा बल्लेबाजी में दिख रहा था. सचिन ने लगातार शेन वॉर्न, कैस्प्रोविज, स्टीव वॉ, टॉम मूडी किसी को नहीं बख्शा. और आगे बढ़-बढ़ कर छक्के जड़े. भारत भले यह मैच हार गया था, लेकिन नेट रन रेट के दम पर उसने फाइनल में जगह बना ली थी.
आईसीसी ने भी सचिन की उस खास पारी को याद किया है. आईसीसी ने ट्वीट किया, 'आज ही के दिन सचिन तेंदुलकर और शेन वॉर्न शारजाह के मैदान में आमने-सामने थे. लिटिल मास्टर ने 131 गेंदों पर 143 रनों की यादगार 'डेजर्ट स्टॉर्म' पारी खेली थी.
शारजाह में 1998 में भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच कोका-कोला कप खेला गया था. इस त्रिकोणीय सीरीज का 22 अप्रैल को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सीरीज का छठा मैच खेला गया. इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले खेलते हुए अपने 50 ओवरों में 7 विकेट के नुकसान पर 284 रनों का स्कोर खड़ा किया.
इसके जवाब में भारत को 46 ओवरों में 276 रनों का संशोधित लक्ष्य मिला था. भारतीय टीम 5 विकेट पर 46 ओवरों में 250 रन ही बना सकी और मैच को 26 रनों से गंवा दिया, लेकिन भारत को फाइनल के लिए क्वालिफाई करने के लिए 46 ओवरों में 238 रनों की ही जरूरत थी, जो उसने हासिल कर लिया. सचिन ने अपनी पारी में नौ चौके और पांच छक्के लगाए थे. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में 24 अप्रैल को सचिन ने अपने 25वें जन्मदिन पर 134 रनों की धुआंधार पारी खेली और भारत ने ट्रॉफी जीत ली.
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