खेल मंत्रालय के राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2020 की चयन समिति की घोषणा के साथ ही भारतीय खेल जगत में हलचल तेज हो गई है. कौन बनेगा 'अर्जुन', किसे मिलेगा द्रोणाचार्य पुरस्कार इस पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं. इस बार बॉक्सिंग की दुनिया में द्रोणाचार्य पुरस्कार के कई दावेदार हैं. ऐसे में हमने यह जानने की कोशिश की है कि बॉक्सिंग में किसका दावा कितना मजबूत है.
47 साल के ओलंपियन धर्मेंद्र सिंह यादव द्रोणाचार्य पुरस्कार के दावेदारों में शामिल हैं. एक खिलाड़ी और कोच के तौर पर धर्मेंद्र ने देश का नाम रोशन किया है. वह देश के पहले ऐसे प्रोफेशनल बॉक्सर रहे हैं, जिनके नाम 6-0 का अविजित रिकॉर्ड है. 1990 में कॉमनवेल्थ खेलों में ब्रॉन्ज मेडल, वर्ल्ड कप बॉक्सिंग चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंचने वाले पहले मुक्केबाज , सैफ गेम्स, एशियन चैंपियनशिप के अलावा कई अंतरराष्ट्रीय और इनविटेशनल टूर्नामेंट में उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया है.
अखिल कुमार, विकास कृष्ण को बॉक्सिंग के गुर सिखाए
2004 से 2020 तक बतौर कोच धर्मेंद्र के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. वह लंबे समय तक जूनियर बॉक्सिंग टीम के कोच रहे. पुरुष टीम की बात करें, तो उन्होंने अखिल कुमार, विकास कृष्ण यादव, सुरंजय, गौरव सोलंकी, गौरव बिधूड़ी जैसे मुक्कबाजों को बॉक्सिंग के गुर सिखाए. इन खिलाड़ियों ने कोच धर्मेंद्र सिंह यादव की देखरेख में देश को कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल दिलाया है.
बता दें, मौजूदा बॉक्सिंग टीम के कोच अली कमर और छोटे लाल भी धर्मेंद्र सिंह यादव से बॉक्सिंग की बारीकियां सीख चुके हैं. इसके अलावा 2010 कॉमनवेल्थ खेलों के पदक विजेता अमनदीप सिंह, ओलंपियन और कॉमनवेल्थ खेलों के गोल्ड मेडलिस्ट परमजीत समोटा, ओलंपियन वर्ल्ड कप में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले एएल लाकड़ा, एशियन सिल्वर मेडलिस्ट कविंदर बिस्ट,आशीष कुमार एशियन सिल्वर मेडलिस्ट, मनदीप जांगरा, मनप्रीत, ओलंपियन दिवाकर प्रसाद, एसएस सुरेश, मनोज कुमार, विकास कृष्ण यादव और दलबीर सिंह जैसे मुक्केबाज भी देश के महान मुक्केबाज धर्मेंद्र सिंह यादव से कोचिंग ले चुके हैं.
द्रोणाचार्य पुरस्कार के दावेदार अन्य बॉक्सिंग कोच
भारतीय महिला बॉक्सिंग टीम के कोच अली कमर, मैरी कॉम के कोच छोटे लाल, शिव सिंह, महिला कोच संध्या गुरुंग, जगदीप हुड्डा के अलावा कई कोच द्रोणाचार्य बनने की रेस में हैं. एक खिलाड़ी और कोच के तौर पर अली कमर का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है. अली देश के पहले ऐसे मुक्केबाज हैं, जिन्होंने कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल जीता. इसके अलावा कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया.
इसके अलावा जगदीप हुड्डा ने भी कोच के तौर पर अच्छा काम किया है. उन्होंने कई मुक्केबाजों की ट्रेनिंग कराई है. एक कोच और खिलाड़ी के तौर पर छोटेलाल और संध्या गुरुंग का औसत प्रदर्शन रहा है.
aajtak.in / अमित रायकवार