India Tour of West Indies: दो महीने चले इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) और उसके ठीक बाद हुए वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप (WTC) फाइनल के बाद अब भारतीय टीम एक महीने के आराम पर है. टीम इंडिया को अब सीधे वेस्टइंडीज दौरे पर जाना है. यह दौरा अगले महीने यानी जुलाई के पहले हफ्ते से शुरू हो जाएगा.
भारतीय टीम वेस्टइंडीज दौरे पर 2 टेस्ट, 3 वनडे और 5 टी20 मैचों की सीरीज खेलेगी. दौरे का आगाज 12 जुलाई से होगा, जब दोनों टीमों के बीच सीरीज का पहला टेस्ट मैच खेला जाएगा. टेस्ट के बाद वनडे और फिर आखिर में टी20 सीरीज खेली जाएगी.
बता दें कि टीम इंडिया का वेस्टइंडीज दौरा हमेशा से ही अपनी एक अलग छाप छोड़ता रहा है. वैसे तो भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज का अपना पहला दौरा जनवरी 1953 में किया था. तब 5 टेस्ट मैचों की सीरीज में भारतीय टीम को 0-1 से हार मिली थी. मगर इनमें 1962 का दौरा काफी अलग रहा था.
कैरेबियाई मशहूर तिकड़ी 'थ्री डब्ल्यू'
दरअसल, 'थ्री डब्ल्यू' (Three Ws') के नाम से विख्यात 'तिकड़ी' में शामिल रहे कैरेबियाई दिग्गज सर फ्रैंक वॉरेल, सर क्लाइव वाल्कॉट और सर एवर्टन वीक्स ने पचास के दशक में विश्व क्रिकेट का सबसे मजबूत बल्लेबाजी क्रम तैयार किया था. वीक्स, वाल्कॉट और वॉरेल का जन्म बारबाडोस में अगस्त 1924 से लेकर जनवरी 1926 तक 18 महीनों के अंदर हुआ था. इन तीनों ने 1948 में तीन सप्ताह के अंदर टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था. आज तीनों इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन कैरेबियाई क्रिकेट को ऊंचाइयां देने में इस तिकड़ी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता.
वॉरेल: वेस्टइंडीज के पहले अश्वेत कप्तान
1960 से 1963 के दौरान 15 टेस्ट मैचों की अगुवाई करने वाले फ्रैंक वॉरेल वेस्टइंडीज के पहले नियमित अश्वेत कप्तान थे.1948 में एक टेस्ट के लिए 'ब्लैक ब्रैडमैन' के नाम से मशहूर रहे जॉर्ड हैडली को वेस्टइंडीज की कप्तानी मिली थी. 1960 से पहले तक वहां गोरों की ही चलती थी.
विरोधी टीमों से लेकर अपने देश के खिलाड़ियों ने फ्रैंक वॉरेल के खेल और कप्तानी की खूब सराहना की. एक क्रिकेटर की जिंदगी मैदान तक ही सीमित नहीं रहती है, वो देश और समाज के लिए भी बहुत कुछ कर सकता है. उनका यही उद्देश्य था. उन्होंने कुछ ऐसा किया, जिसे आज भी मिसाल के तौर पर पेश किया जाता है. 1962 में भारतीय टीम के तत्कालीन कप्तान नारी कॉन्ट्रैक्टर की जान बचाने में उनकी पहल को हमेशा याद किया जाएगा.
... जब नारी कॉन्ट्रैक्टर को लगी बाउंसर
मार्च 1962 में भारतीय टीम वेस्टइंडीज दौरे पर थी. पहले दो टेस्ट के बाद भारतीय टीम ने बारबाडोस के खिलाफ एक कॉलोनी गेम खेला. इस मैच के दौरान कैरेबियाई तूफानी गेंदबाज चार्ली ग्रिफिथ की घातक बाउंसर भारतीय कप्तान कॉन्ट्रैक्टर को सिर पर जा लगी. वह बुरी तरह से घायल हो गए थे. उस समय वेस्टइंडीज के कप्तान फ्रैंक वॉरेल वीआईपी बॉक्स में दर्शक के तौर पर मौजूद थे. उन्होंने नारी की जान बचाने की जिम्मेदारी संभाली. भारतीय कप्तान को हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उनका ऑपरेशन हुआ. उन्हें बचाने के लिए काफी मात्रा में खून की जरूरत थी.
ऐसे में वॉरेल ने पहल की और दोनों टीमों के खिलाड़ियों के साथ-साथ अन्य लोगों ने कॉन्ट्रेक्टर के लिए रक्तदान किया. भारतीय कप्तान बच गए, लेकिन फिर कभी टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल पाए. आज भी भारतीय सर फ्रैंक के उस परोपकार को नहीं भूले हैं. भाग्य की विडंबना देखिए कि मार्च 1967 में इस महान सज्जन क्रिकेटर का ल्यूकेमिया (एक प्रकार का ब्लड कैंसर) की वजह से महज 42 साल की उम्र में निधन हो गया.
CAB मनाता है 'सर फ्रैंक वॉरेल दिवस'
बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन (CAB) ने फ्रैंक वॉरेल के सम्मान में 1981 से हर साल अपने स्थापना दिवस (3 फरवरी) को "सर फ्रैंक वॉरेल दिवस" के रूप में मनाने का फैसला किया. इस मौके पर सीएबी परिसर के साथ-साथ जिलों में रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है. रक्तदाताओं को प्रसिद्ध क्रिकेटरों द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र प्रदान किए जाते हैं.
नोट पर छपने वाला इकलौता क्रिकेटर
अनेकों द्वीपों को एकजुट कर वेस्टइंडीज टीम बनाने में वॉरेल की अहम भूमिका रही. बारबाडोस ने अपने डाक टिकट और करेंसी नोट पर सर फ्रैंक वॉरेल की फोटो छापी. वहां के 5 डॉलर के नोट पर उनकी तस्वीर छपी. ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच फ्रैंक वॉरेल ट्रॉफी के लिए टेस्ट सीरीज खेली जाती है.
फ्रैंक वॉरेल ने 51 टेस्ट मैचों में 49.48 के एवरेज से 3,860 रन बनाए, जिसमें 9 शतक और 22 अर्धशतक शामिल हैं. उन्होंने 69 विकेट भी चटकाए. उनकी कप्तानी में वेस्टइंडीज ने 15 में से 9 टेस्ट जीते. वॉरेल ने 208 प्रथम श्रेणी मैचों में 54.24 के एवरेज से 15025 रन बनाए. उन्होंने 39 शतक और 80 अर्धशतक लगाए. साथ ही उनके खाते में 28.98 की औसत से 349 विकेट भी रहे.
फ्रैंक वॉरेल फर्स्ट क्लास क्रिकेट में दो बार 500 या इससे ज्यादा रनों की साझेदारी में शामिल होने वाले पहले बल्लेबाज हैं. अब तक रवींद्र जडेजा ही इस उपलब्धि को हासिल कर पाए हैं.
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