14 साल, 272 दिन…
इतनी सी उम्र में जब ज्यादातर बच्चे स्कूल की परीक्षाओं, होमवर्क और ट्यूशन के दबाव में होते हैं, उसी उम्र में वैभव सूर्यवंशी ने क्रिकेट की किताबों में अपना नाम स्थायी स्याही से लिख दिया. विजय हजारे ट्रॉफी 2025-26 के पहले ही दिन, बिहार की जर्सी पहनकर उसने वो कर दिखाया, जो अब तक सिर्फ किस्सों में संभव लगता था.
मेंस लिस्ट-A क्रिकेट का सबसे कम उम्र का शतकवीर...यह वैभव का महज 7वां लिस्ट-A मैच था. दिसंबर 2024 में मध्य प्रदेश के खिलाफ पदार्पण करने वाला यह किशोर अब अरुणाचल प्रदेश के सामने बुधवार को रांची की पिच पर 50 ओवरों के मैच में इतिहास गढ़ रहा था.
36 गेंदों में शतक…
59 गेंदों में 150…
और अंत में 84 गेंदों पर 190 रन...
हर चौका, हर छक्का मानो बचपन की सीमाओं को लांघता चला गया, जैसे यह बल्ला उम्र नहीं, सिर्फ सपने गिन रहा हो.
यह शतक सिर्फ रन नहीं था, यह उस विश्वास की जीत थी, जो तारीख-ए-पैदाइश नहीं पूछता.
वैभव की कहानी एक पारी तक सिमटी नहीं है.
- अंडर-19 एशिया कप में 95 गेंदों पर 171 रन, जहां वह अंबति रायडू के 23 साल पुराने रिकॉर्ड से महज 6 रनों पीछे रह गया.
- 15 यूथ वनडे (Youth ODIs), औसत 51 से ऊपर, स्ट्राइक रेट 158 से ज्यादा.
ये आंकड़े साफ कहते हैं कि यह चमक तुक्का नहीं, तैयारी, अनुशासन और निडर सोच की पैदाइश है.
- दोहा में UAE के खिलाफ 32 गेंदों में टी20 शतक, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में महाराष्ट्र के खिलाफ नाबाद 108,
... और फिर IPL… जहां 13 साल की उम्र में नीलामी में नाम आया और 14 की उम्र में IPL शतक.
राजस्थान रॉयल्स के लिए गुजरात टाइटन्स के खिलाफ 38 गेंदों में 101 रन, 7 मैचों में 252 रन, 206 से ज्यादा का स्ट्राइक रेट- इतनी कम उम्र में इतना बड़ा मंच और उस मंच पर ऐसा बेखौफ आत्मविश्वास यह हुनर नहीं तो और क्या है?
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की युवा टीमों के खिलाफ भी वैभव का बल्ला नहीं थमा. इंग्लैंड दौरे पर 355 रन- हर पारी के साथ यह यकीन और गहराता गया कि भारत को सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, एक कहानी मिल चुकी है.
अब विजय हज़ारे ट्रॉफी के शुरुआती मैचों के बाद सूर्यवंशी बेंगलुरु के कंडीशनिंग कैंप जाएंगे... और फिर नजर होगी जिम्बाब्वे-नामिबिया में होने वाले अंडर-19 वर्ल्ड कप पर, जो 15 जनवरी से शुरू हो रहा है.
वैभव सूर्यवंशी की यह उड़ान हमें याद दिलाती है- सपनों की कोई उम्र नहीं होती. अगर हुनर सच्चा हो, मेहनत ईमानदार हो
और भरोसा अडिग हो, तो 14 साल का बच्चा भी पूरी क्रिकेट दुनिया को कुछ पल के लिए खामोश कर सकता है.
वैभव की प्रतिभा और आक्रामकता सबको आकर्षित करती है, लेकिन असली महानता तभी आएगी जब वह अपने उत्साह को सही दिशा में नियंत्रित करना सीख जाए. हर गेंद को मारना ही क्रिकेट नहीं है.. खेल में सम्मान, समझ और धैर्य भी उतने ही जरूरी हैं. पिच पर विरोधी गेंदबाजों के लिए डर पैदा करना ठीक है, लेकिन हर कदम सोच-समझकर बढ़ाना- गेंद को भांपकर ही खेल में बढ़त लेना- वैभव को सिर्फ नायक नहीं, बल्कि सतत सफल खिलाड़ी बनाएगा.
(लिस्ट-ए क्रिकेट क्या है..? इसमें वनडे इंटरनेशनल के अलावा विभिन्न घरेलू मुकाबले शामिल होते हैं. लिस्ट-ए के तहत 40 से 60 ओवरों तक की एक पारी होती है.)
विश्व मोहन मिश्र