अब नहीं चलेगा खिलाड़ियों का 'अपनी मर्जी से खेलना', गंभीर-अगरकर लाएंगे सख्त टीम कल्चर

भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ 5 टेस्ट की सीरीज 2-2 से ड्रॉ की, जो एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. अब गंभीर और चयन समिति के प्रमुख अजीत अगरकर टीम में ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं, जिसमें किसी खिलाड़ी को बाकी से ज्यादा अहमियत न मिले.

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 गंभीर और अगरकर टीम को और धारदार बनाएंगे. (Getty) गंभीर और अगरकर टीम को और धारदार बनाएंगे. (Getty)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:04 PM IST

गौतम गंभीर हमेशा से भारतीय क्रिकेट में  'मेगा स्टार' संस्कृति के खिलाफ रहे हैं. अब इंग्लैंड दौरे पर तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज के लगातार शानदार प्रदर्शन ने उन्हें बतौर मुख्य कोच एक मजबूत संदेश देने का मौका दे दिया है- टीम में सब बराबर हैं, कोई बड़ा नाम खेल से ऊपर नहीं.

भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ 5 टेस्ट की सीरीज 2-2 से ड्रॉ की, जो एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. अब गंभीर और चयन समिति के प्रमुख अजीत अगरकर टीम में ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं, जिसमें किसी खिलाड़ी को बाकी से ज्यादा अहमियत न मिले.

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सूत्रों के मुताबिक, चयन समिति, गंभीर और भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) के वरिष्ठ अधिकारी इस बात पर एकमत हैं कि अब वर्कलोड मैनेजमेंट के नाम पर खिलाड़ियों को अपनी मर्जी से मैच और सीरीज चुनने की आजादी नहीं दी जाएगी.

बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई से कहा, 'इस पर बात हो चुकी है और सभी सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट वाले खिलाड़ियों को यह साफ कर दिया गया है, खासकर उन्हें जो तीनों फॉर्मेट खेलते हैं, कि अब अपनी मर्जी से मैच चुनने वाला कल्चर नहीं चलेगा.'

उन्होंने साथ ही यह भी जोड़ा, 'इसका मतलब ये नहीं कि वर्कलोड मैनेजमेंट को नजरअंदाज किया जाएगा. तेज गेंदबाजों के लिए यह जरूरी है, लेकिन इसकी आड़ में अहम मुकाबलों से दूर नहीं रह सकते.'

... कोई भी खिलाड़ी टीम से बड़ा नहीं

मोहम्मद सिराज ने इंग्लैंड के खिलाफ 5 टेस्ट में 185.3 ओवर गेंदबाजी की, जो जबरदस्त मेहनत का उदाहरण है. नेट्स में अभ्यास और फील्डिंग को जोड़ें तो उनका वर्कलोड और भी ज्यादा था. सिराज ने नई फिटनेस और समर्पण की मिसाल कायम की है. उनके साथ प्रसिद्ध कृष्णा और आकाश दीप ने भी साबित कर दिया कि कोई भी खिलाड़ी टीम से बड़ा नहीं है.

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इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने भी चौथे टेस्ट तक कई लंबे गेंदबाज़ी स्पेल फेंके, जबकि वो भी फिटनेस से जूझ रहे थे. इससे यह सवाल उठता है कि क्या भारत में कुछ खिलाड़ी वर्कलोड मैनेजमेंट को अपने हिसाब से ढालते हैं?

गावस्कर ने कहा- देश के लिए दर्द भूल जाइए

भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने 'इंडिया टुडे' से कहा, 'जब आप भारत के लिए खेलते हैं, तो दर्द की परवाह नहीं करनी चाहिए. क्या आपको लगता है कि सीमा पर हमारे जवान सर्दी की शिकायत करते हैं? ऋषभ पंत को देखिए, फ्रैक्चर के बावजूद वो बल्लेबाजी के लिए उतरे. यही अपेक्षा की जाती है. भारत के लिए खेलना गर्व की बात है.'

गावस्कर ने आगे कहा, 'आप 140 करोड़ देशवासियों के प्रतिनिधि हैं, जो हमने सिराज में देखा, वह अद्भुत था. उन्होंने वर्कलोड की परवाह किए बिना पूरी दिलेरी से गेंदबाजी की, लगातार पांच टेस्ट में 7-8 स्पेल डाले. यही जज्बा चाहिए. उम्मीद है ‘वर्कलोड’ शब्द भारतीय क्रिकेट से गायब हो जाएगा.'

बुमराह और स्पोर्ट्स साइंस टीम पर सवाल

सूत्रों के अनुसार, जसप्रीत बुमराह का पांचों टेस्ट न खेल पाना बीसीसीआई को पसंद नहीं आया. इस वजह से बेंगलुरु के राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (NCA) के उत्कृष्टता केंद्र में काम कर रही खेल विज्ञान (Sports Science) टीम की भूमिका पर भी अब सवाल उठ रहे हैं.

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