बेदम वेस्टइंडीज, बेजान पिच...फिर भी बुमराह को दोनों मैच में क्यों झोंका गया, अंदर की बात पता चली

शुभमन गिल की कप्तानी में टीम इंडिया ने वेस्टइंडीज़ के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट सीरीज 2-0 से अपने नाम की. चोटों से जूझते रहे बुमराह को दोनों मैचों में खिलाना लोगों को हैरान कर गया. आखिर क्या कारण था कि बुमराह को दोनों मैचों में खेलना पड़ा. क्या है बीसीसीआई का वो नया नियम जिससे सभी खिलाड़ी लाइन पर आ गए. ‘बल्लाबोल’ में निखिल नाज और कुमार केशव ने बुमराह के वर्कलोड, नए बोर्ड नियमों और अजीत अगरकर के साहसिक फैसलों पर विस्तार से चर्चा की.

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जब चुनौती मामूली थी, तो बुमराह को दोनों मैचों में खिलाने की क्या जरूरत थी? (Photo, AFP) जब चुनौती मामूली थी, तो बुमराह को दोनों मैचों में खिलाने की क्या जरूरत थी? (Photo, AFP)

कुमार केशव / Kumar Keshav

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  • 17 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 5:29 PM IST

एशिया कप के फौरन बाद टीम इंडिया शुभमन गिल की कप्तानी में वेस्टइंडीज के खिलाफ दो मैचों की सीरीज खेलने उतरी और नतीजा वही रहा, जिसकी उम्मीद थी. भारतीय टीम ने अहमदाबाद के बाद दिल्ली में भी खस्ताहाल कैरेबियन टीम को शिकस्त दी. हालांकि, पहले टेस्ट के मुकाबले दूसरे मैच में वेस्टइंडीज ने दम दिखाया और उम्मीदों के विपरीत मैच पांचवें दिन तक खिंचा. इस सीरीज में भारत की तरफ से एक हैरानी भरा निर्णय देखने को मिला. वो था दुनिया के नंबर-1 गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को दोनों ही मुकाबलों में उतारना. कारण दो थे- एक तो बुमराह का करियर चोटों से भरा रहा है और दूसरा, वेस्टइंडीज की टीम में वह धार नहीं थी कि जीत के लिए बुमराह जरूरी हों.

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एशिया कप के तुरंत बाद भी आराम नहीं

ध्यान देने वाली बात ये भी है कि जसप्रीत बुमराह तुरंत ही एशिया कप के लगभग सारे मैच खेलकर लौटे थे. और जिस पिच पर दोनों मैच खेले गए वो भी तेज गेंदबाजी के लिए कुछ खास मुफीद नहीं थी. बुमराह का वर्कलोड मैनेजमेंट क्रिकेट के हलकों में सबसे ज्यादा बहस आमंत्रित करता रहा है. चीफ सिलेक्टर अजीत अगरकर से लेकर कोच गौतम गंभीर तक इसे अक्सर एड्रेस करते पाए गए हैं. आपको याद होगा कि टीम मैनेजमेंट ने जून-जुलाई में इंग्लैंड दौरे पर उनके पांच में से सिर्फ तीन टेस्ट मैच खेलने की घोषणा भी पहले ही कर दी थी.      

बुमराह को अभी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पांच टी20 मैचों की सीरीज खेलनी है. चूंकि अगले साल टी20 वर्ल्ड कप होना है, ऐसे में बुमराह को टी20 सीरीज लगातार खेलनी होगी. साथी ही टाइटल को डिफेंड करने के लिए सौ फीसदी फिट बुमराह का उपलब्ध होना टीम मैनेजमेंट के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. ऐसे में उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ इन बेजान पिचों पर उतारने का फैसला क्यों लिया गया? क्रिकेट पॉडकास्ट 'बल्लाबोल' में इस पर विस्तार से बातचीत हुई. सीनियर स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट निखिल नाज ने BCCI के एक नए नियम का हवाला देते हुए अंदर की बात बताई.

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BCCI के नए नियम का असर दिखा

निखिल के मुताबिक, इस साल की शुरुआत में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान पर्थ टेस्ट के बाद लंबा इंटरवल था. इस ब्रेक के दौरान हेड कोच गौतम गंभीर कुछ निजी कारणों से इंडिया लौट आए थे. 1-0 की बढ़त के साथ इंडिया के खिलाड़ी कैनबरा पहुंचे और वहां टीम को एक प्रैक्टिस मैच भी खेलना था. वहां मौजूद बीसीसीआई के अधिकारियों ने पाया कि स्थिति हाथ से निकल चुकी है. ज्यादातर खिलाड़ी मनमानी कर रहे हैं. कहां जाना है, क्या करना है वो खुद डिसाइड कर रहे हैं. प्रैक्टिस सेशन तक को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है. 

पर्थ के बाद टीम का परफॉर्मेंस भी ढीला पड़ा और BGT सीरीज भारत ने गंवा दी. WTC फाइनल में पहुंचने की सारी उम्मीदें भी धराशायी हो गईं. इस टूर के बाद BCCI ने एक रिव्यू मीटिंग बुलाई और बोर्ड के पास सारे फीडबैक पहुंचे. बोर्ड ने सख्त रवैया अपनाते हुए कुछ नियम बनाए. परिणामस्वरूप रोहित और विराट जैसे स्टार खिलाड़ियों को बरसों बाद डोमेस्टिक खेलते हुए देखा गया.

ऑस्ट्रेलिया दौरे के सबक से बदला रवैया

सीधा संदेश दिया गया कि कोई भी खिलाड़ी नियम से ऊपर नहीं है और बोर्ड ये तय करेगा कि किस खिलाड़ी को किस सीरीज में खेलना है या नहीं खेलना है. और खेलना है तो कब और कितना खेलना है. निश्चित तौर पर BCCI सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की मदद से ये फैसले करेगा. खिलाड़ियों को बस ये बताना होगा कि वो उस फॉर्मेट के लिए उपलब्ध हैं या नहीं. आपको याद होगा कि इससे पहले खिलाड़ी तय करने लगे थे कि किसी सीरीज विशेष के लिए वो उपलब्ध रहेंगे या नहीं. 

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बुमराह के केस में भी यही लागू होता है. अगर ये नियम नहीं आया होता तो पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि बुमराह वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ खेल ही रहे होते. BCCI के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में फीजियो ने बुमराह के वर्कलोड को मॉनिटर करते हुए हरी झंडी दी. उनकी बॉडी दोनों मैचों के लिए फिट एंड फाइन करार दी गई और वो खेले. हालांकि, बुमराह की तारी भी करनी होगी कि वो खुद भी टेस्ट क्रिकेट को एन्जॉय करते हैं और ज्यादा से ज्यादा इस फॉर्मेट को खेलना चाहते हैं. तो कुल मिलाकर बोर्ड ने अजीत अगरकर के ज़रिये एक लंबी लकीर खींच दी है. 

इसके अलावा इंडिया-वेस्टइंडीज टेस्ट सीरीज की एनालिसिस, किन खिलाड़ियों ने मौका गंवाया, रोहित शर्मा की ODI कैप्टेंसी जाने और चीफ सेलेक्टर अजीत अगरकर के साहसिक फैसलों पर डिटेल में चर्चा हुई है. सुनिए/देखिए पूरा पॉडकास्ट:

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