मोहन भागवत ने कहा कि भारतवर्ष की संधार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता प्राचीन ग्रंथों में विस्तार से वर्णित है. रामायण में भारतवर्ष का उल्लेख मिलना इस भूमि की प्राचीनता को दर्शाता है. महाभारत में भारतवर्ष की विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है जो उस समय के सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को भी उजागर करती है.