महाकुंभ 2025 में भारतीय और ग्रीक सांस्कृतिक विरासत का एक विशेष संगम देखने को मिला. जहां ग्रीस की पेनेलोप और भारत के सिद्धार्थ ने प्रयागराज में विवाह के बंधन में बंधने का फैसला किया. पेनेलोप के लिए कन्यादान का कार्य जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने दुल्हन की मां और अन्य रिश्तेदारों के साथ किया.
यादगार बनाने के लिए महाकुंभ में की शादी
सिद्धार्थ ने बताया कि हम एक-दूसरे से शादी करके खुश हैं. यह हम लोगों के लिए वाकई खास पल है. हम दोनों अपनी शादी को यादगार बनाना चाहते थे. इसलिए हम लोगों ने महाकुंभ में शादी करने का फैसला लिया. शादी को खास बनाया जा सके, इसलिए हमने 26 जनवरी की तारीख चुनी.
हम जानते हैं कि इस समय यह शायद देश या दुनिया में ही नहीं बल्कि ब्रह्मांड में सबसे अच्छी जगह है. जहां सभी प्रकार की दिव्यता, तीर्थ भी मौजूद है. यहां आप महान आत्माओं से मिलते हैं. ऐसे में हम दोनों ने महाकुंभ में शादी की और महाराज जी (स्वामी यतींद्रानंद गिरि) से आशीर्वाद लिया. यह हमारे लिए कभी न भूलने वाला पल है.
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26 फरवरी को आखिरी स्नान
कुंभ मेला सनातन धर्म के सबसे बड़े और सबसे पवित्र धार्मिक आयोजनों में से एक है, जो हर 12 वर्ष में एक बार होता है. यह सिर्फ धार्मिक आयोजन ना होकर खगोलीय घटनाओं से जुड़ी एक चिर पुरातन परंपरा है, जिसमें ग्रहों की स्थिति का विशेष महत्व होता है और इसी आधार पर इसका आयोजन होता है.
प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला महाकुंभ 144 वर्ष बाद आया है. सूर्य, चंद्रमा और गुरु (बृहस्पति) ग्रहों की स्थिति के आधार पर कुंभ का आयोजन होता है और इसी आधार पर स्थान का निर्धारण भी होता है. कुंभ मेले का आयोजन चार स्थानों- प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में होता है. इस आयोजन की चार श्रेणिया हैं- कुंभ, अर्धकुंभ, पूर्ण कुंभ और महाकुंभ.
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