सांसारिक मोह को त्यागकर साध्वी बन रहीं 2 लड़कियां, 9 को लेंगी जैन धर्म की दीक्षा

गुजरात के राजकोट की रहने वाली दो लड़कियां जैन धर्म की दीक्षा लेकर साध्वी बनने जा रही हैं. 24 वर्षीय उपासना संजयभाई शेठ और 17 वर्षीय आराधना मनोजभाई डेलीवाला 9 दिसंबर को जैन धर्म की दीक्षा ग्रहण करेंगी.

Advertisement
उपासना और आराधना (फोटो- गोपी घांघर) उपासना और आराधना (फोटो- गोपी घांघर)

राम कृष्ण / गोपी घांघर

  • अहमदाबाद,
  • 02 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 9:13 AM IST

जिस उम्र में लोग कॅरियर चुनते हैं, महंगे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स व सोशल मीडिया में मशगूल रहते हैं या फिर सैर सपाटे में रमे रहते हैं, उस उम्र में गुजरात के राजकोट की रहने वाली दो लड़कियां सांसारिक मोह त्यागकर जैन धर्म की दीक्षा लेने जा रही हैं.

24 वर्षीय उपासना संजयभाई शेठ और 17 वर्षीय आराधना मनोजभाई डेलीवाला 9 दिसंबर को राजकोट में जैन धर्म की दीक्षा ग्रहण करेंगी. इस दीक्षा ग्रहण कार्यक्रम में हजारों की तादाद में जैन समुदाय के लोग इकट्ठा होंगे. उपासना शेठ के पिता संजयभाई सेठ फाउंड्री और स्टील बिजनेस से जुड़े हैं. करोड़पति पिता की बेटी उपासना ने ग्रेजुएट तक की पढ़ाई की है. साथ ही उनकी बिजनेस मैनेजमेंट में भी काफी दिलचस्पी है.

Advertisement

उपासना करीब 35 देशों के 54 शहरों की सैर कर चुकी हैं. पहले उनको आईफोन, कार, टैबलेट और ब्रांडेड कपड़े समेत अन्य चीजों का बहुत शौक था और वो खूब इनका इस्तेमाल करती थीं. इसके लिए वो हर महीने एक लाख रुपये से ज्यादा खर्च भी करती थीं. उनकी यह वैभवी जिंदगी तबसे अचानक बदल गई, जबसे वो अपने गुरुदेव के शिविर में जाने लगीं. अब उनका जीवन पूरी तरह बदल चुका है. वो ब्रांडेड कपड़े और वस्तुओं को छोड़कर कर्म के बैलेंस शीट का हिसाब लगाने लगी हैं.  

उपासना आत्म शुद्धि के लिए जैन धर्म की दीक्षा लेकर संयम का मार्ग अपनाने जा रही हैं. इसी मार्ग पर उपासना के साथ आराधना भी निकलने जा रही हैं. आराधना डेलीवाला के पिता मनोजभाई डेलीवाला राजकोट में गिफ्ट शॉप चलाते हैं. आराधना ने 10वीं तक की पढ़ाई की है. आराधना पढ़ाई में अच्छी थी. उन्होंने 10वीं में गुजरात बोर्ड में 99.94 फीसदी अंक हासिल किए थे और छठे स्थान पर रही हैं.

Advertisement

आराधना धार्मिक वातावरण में ही पली बड़ी हैं. उनका कहना है कि जब वो अपने मां के गर्भ में थीं, तभी से उनको गुरुवाणी सुनने को मिल रही है. बचपन में उनके पिता उनको साधु वंदना सुनाया करते थे. जैन पाठशाला में वो पढ़ाई भी कर चुकी हैं. बचपन से ही उनमें धार्मिक संस्कार पड़ गए थे. साल 2015 में उन्होंने गुरुजी के शिविर में जाना शुरू कर दिया और अचानक उनके जीवन में परिवर्तन आ गया.

अब आराधना ने अपने माता-पिता की आज्ञा लेकर जैन धर्म की दीक्षा लेने का निर्णय किया है. आराधना और उपासना जिन नम्रमुनि महाराज से दीक्षा ले रही हैं, उनका कहना है कि जब किसी आत्मा को शक्ति की प्राप्ति होती है, तब वो संयम की राह पर चल पड़ती है. जब किसी आत्मा को संयम की राह पर जाना होता है, तब वो गुरु के द्वारा दीक्षा लेती है. राजकोट में ऐसी ही दो लड़कियां संयम की राह पर 9 दिसंबर को दीक्षा प्राप्त करेगी और सांसारिक जीवन को त्यागकर आत्म कार्य के मार्ग पर चल पड़ेंगी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement