चाणक्य नीति: इंसान के लिए मौत से भी बदतर हैं ऐसे हालात, सब हो जाते हैं दूर

Chanakya Niti In Hindi, Disrespect Is Worse Than Death: आचार्य चाणक्य को कुशल अर्थशास्त्री और नीतियों का महान जानकार माना जाता है. उनकी नीतियां आज भी कारगर मानी जाती हैं. उन्होंने अपनी नीतियों को नीति ग्रंथ कहे जाने वाले चाणक्य नीति में उल्लेख किया है. चाणक्य नीति में उन्होंने एक श्लोक के जरिए इंसान के लिए मौत से भी ज्यादा कष्ट देने वाली अन्य चीजों को बताया है. श्लोक में वे कहते हैं...

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 1:07 PM IST

आचार्य चाणक्य को कुशल अर्थशास्त्री और नीतियों का महान जानकार माना जाता है. उनकी नीतियां आज भी कारगर मानी जाती हैं. उन्होंने अपनी नीतियों को नीति ग्रंथ कहे जाने वाले चाणक्य नीति में उल्लेख किया है. चाणक्य नीति में उन्होंने एक श्लोक के जरिए इंसान के लिए मौत से भी ज्यादा कष्ट देने वाली अन्य चीजों को बताया है. श्लोक में वे कहते हैं-

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वरं प्राणपरित्यागो मानभङ्गन जीवनात्।

प्राणत्यागे क्षणां दुःख मानभङ्गे दिने दिने॥

इन श्लोक में आचार्य चाणक्य ने मौत से भी ज्यादा कष्टदायी अपमान को बताया है. चाणक्य कहते हैं कि अपमानित शख्य के लिए जीवित रहने से अच्छा मर जाना ज्यादा सही है. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अपमानित शख्स रोज अपमान के कड़वाहट को घूंटता है, समाज में उसे नफरत से देखते हैं. ऐसे शख्स से रिश्तेदार और दोस्त भी दूर रहने लगते हैं. चाणक्य कहते हैं कि ऐसे में अपमानित होकर जीने से बेहतर मर जाना है. चाणक्य कहते हैं कि मौत तो एक पल दुख देती है, लेकिन अपमान हर दिन दुख देता है.

आचार्य चाणक्य भी हुए थे अपमानित

बता दें कि मगध राज्य में एक यज्ञ का आयोजनन किया गया था. उस यज्ञ में आचार्य भी गए और वहां एक प्रधान आसन पर बैठ गए. चाणक्य को आसन पर बैठे देख वहां मौजूद महाराज नंद ने उनकी वेशभूषा को लेकर उन्हें अपमानित किया. इसके बाद चाणक्य को आसन से उठने का आदेश दे दिया. इससे अपमानित हुए चाणक्य ने भरी सभा में नंदवंश के राजा से बदला लेने की प्रतिज्ञा ले ली. इसके बाद अपनी प्रतिज्ञा को पूरी करने के लिए आचार्य चाणक्य ने एक साधारण सा बालक राजकुमार चंद्रगुप्त को शिक्षा-दीक्षा देकर सम्राट की गद्दी पर बैठा दिया.

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