Amarnath Yatra 2024: अमरनाथ की गुफा में है अमर कबूतरों का जोड़ा! पढ़ें ये पौराणिक कथा

Amarnath Yatra 2024: अमरनाथ धाम यात्रा 29 जून से शुरू हो चुकी है. पूरी धरती पर केवल यहीं भगवान शंकर हिमलिंग के रूप में दर्शन देते हैं. ऐसी मान्यताएं हैं कि सबसे पहले महर्षि भृगु ने अमरनाथ गुफा की यात्रा की थी.

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अमरनाथ धाम यात्रा 29 जून से शुरू हो चुकी है. भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ा ये धाम शिव और शक्ति दोनों का प्रतीक है. अमरनाथ धाम यात्रा 29 जून से शुरू हो चुकी है. भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ा ये धाम शिव और शक्ति दोनों का प्रतीक है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 6:00 AM IST

Amarnath Yatra 2024: जम्मू-कश्मीर स्थित बाबा अमरनाथ धाम यात्रा 29 जून से शुरू हो चुकी है. भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ा ये धाम शिव और शक्ति दोनों का प्रतीक है. तमाम कठिनाइयों, बाधाओं और खतरों के बावजूद यहां हर साल भक्तों का तांता लगता है. पूरी धरती पर केवल यहीं भगवान शंकर हिमलिंग के रूप में दर्शन देते हैं. ऐसी मान्यताएं हैं कि सबसे पहले महर्षि भृगु ने अमरनाथ गुफा की यात्रा की थी. बाबा बर्फानी से जुड़ी और भी कई अचंभित कर देने वाली कहानियां हैं.

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अमरत्व की कथा और कबूतरों का जोड़ा
पुराणों के मुताबिक, भगवान शिव माता पार्वती को अमरत्व की कहानी सुनाने के लिए इसी गुफा में लेकर आए थे. कहानी के दौरान माता पार्वती को नींद आ गई. लेकिन वहां मौजूद कबूतरों का एक जोड़ा भगवान शिव की कहानी सुनता रहा. इस दौरान वो लगातार आवाज भी निकालता रहा, जिससे भगवान शिव को लगा कि पार्वती जी कहानी सुन रही हैं.

कथा सुनने के कारण इन कबूतरों को भी अमरत्व प्राप्त हुआ. और आज भी अमरनाथ गुफा के दर्शन करते वक्त कबूतर देखे जाते हैं. बड़े आश्चर्य की बात है कि जहां ऑक्सीजन की मात्रा लगभग न के बराबर है और जहां दूर-दूर तक खाने-पीने का कोई साधन नहीं है, वहां ये कबूतर किस तरह रहते हैं. यहां कबूतरों के दर्शन होना शिव-पार्वती के दर्शन होने जैसा माना जाता है.

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अमरनाथ की गुफा का पौराणिक इतिहास
अमरनाथ गुफा की के पौराणिक इतिहास में महर्षि कश्यप और महर्षि भृगु का भी वर्णन मिलता है. कथा के अनुसार, एक बार धरती का स्वर्ग कश्मीर जलमग्न हो गया और एक बड़ी झील में तब्दील हो गया. जगत कल्याण के लिए ऋषि कश्यप ने उस जल को छोटी-छोटी नदियों के जरिए बहा दिया. उस समय ऋषि भृगु हिमालय की यात्रा पर निकले थे. जल स्तर कम होने से हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं में सबसे पहले महर्षि भृगु ने अमरनाथ की पवित्र गुफा और बाबा बर्फानी का शिवलिंग देखा था.

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