Pushkar Mandir: पूरे भारत में ब्रह्मा जी का है ये इकलौता मंदिर, जानें इसकी कथा

Pushkar Mandir: ब्रह्मा जी को सृष्टि के रचयिता के रूप में जाना जाता है. पूरे भारत में ब्रह्मा जी का सिर्फ एक ही मंदिर स्थित है, जो राजस्थान के पुष्कर में है. तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्यों ब्रह्मा जी का एक मात्र मंदिर है और क्या है इसके पीछे की कहानी. 

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पुष्कर मंदिर पुष्कर मंदिर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 4:15 PM IST

Pushkar Mandir: हमारे देश में विष्णु जी और शिव जी के कई सारे मंदिर हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ब्रह्मा जी का पूरे भारत में केवल एक ही मंदिर है. ब्रह्मा जी का यह मंदिर राजस्थान के पुष्कर में स्थित है, जिसको ब्रह्मा मंदिर के नाम से जाना जाता है. ब्रह्मा जी को सृष्टि के रचयिता के रूप में जाना जाता है. तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्यों पूरे भारत में यह ब्रह्मा जी का एक मात्र मंदिर है और क्या है इसके पीछे की कहानी. 

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पुष्कर मंदिर की कहानी

पद्म पुराण के मुताबिक, एक बार धरती पर वज्रनाश नामक राक्षस ने उत्पात मचा रखा था. उसके अत्याचार इतने बढ़ गए थे कि ब्रह्मा जी को तंग आकर उसका वध करना पड़ा. जब वो उसका वध कर रहे थे, तब ब्रह्मा जी के हाथों से धरती की तीन जगहों पर कमल का पुष्प गिरा. जहां-जहां तीन कमल गिरे, वहां पर तीन झीलें बन गईं. उनमें से एक स्थान का नाम पुष्कर पड़ा. फिर संसार की भलाई के लिए ब्रह्मा जी ने यहीं पर यज्ञ करने का फैसला किया.

यज्ञ करने के लिए ब्रह्मा जी पुष्कर पहुंच गए. इस यज्ञ में पत्नी का बैठना जरूरी था, लेकिन सावित्री को पहुंचने में देरी हो गई. पूजा का शुभ मुहूर्त बीतता जा रहा था. सभी देवी-देवता एक-एक करके यज्ञ स्थली पर पहुंचते गए. लेकिन सावित्री का कोई अता-पता नहीं था.

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कहते हैं कि जब शुभ मुहूर्त निकलने लगा, तब कोई उपाय न देखकर ब्रह्मा ने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री को प्रकट किया और उनसे विवाह कर अपना यज्ञ पूरा किया. उधर सावित्री जब यज्ञस्थली पहुंचीं, तो वहां ब्रह्मा के बगल में गायत्री को बैठे देख क्रोधित हो गईं और उन्होंने ब्रह्मा को श्राप दे दिया. सावित्री का गुस्सा इतने में ही शांत नहीं हुआ. उन्होंने विवाह कराने वाले ब्राह्मण को भी श्राप दिया कि चाहे जितना दान मिले, ब्राह्मण कभी संतुष्ट नहीं होंगे. गाय को कलियुग में गंदगी खाने और नारद को आजीवन कुंवारा रहने का श्राप दिया. अग्निदेव भी सावित्री के कोप से बच नहीं पाए. उन्हें भी कलियुग में अपमानित होने का श्राप मिला.

सभी ने माता सावित्री से विनती की कि वो इस श्राप को वापस ले लें. लेकिन उन्होंने नहीं लिया. जब उनका गुस्सा शांत हुआ तो सावित्री ने कहा कि इस धरती पर सिर्फ पुष्कर में आपकी पूजा होगी. अगर कोई दूसरा व्यक्ति आपका मंदिर बनाएगा तो उस मंदिर का विनाश हो जाएगा. इस कार्य में विष्णु जी ने भी ब्रह्मा जी की मदद की थी. इसी के चलते देवी सरस्वती ने भी विष्णु जी को श्राप दिया कि उन्हें पत्नी से विरह का कष्ट सहन करना पड़ेगा. इसी कारण विष्णु जी ने श्री राम का अवतार लिया और 14 साल के वनवास के दौरान उन्हें पत्नी से अलग रहना पड़ा था.

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पुष्कर मंदिर की वास्तुकला

पूरे भारत में पुष्कर मंदिर ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर है. ब्रह्मा जी का यह मंदिर 2000 साल पुराना माना गया है. ऐसी मान्यता भी है कि मंदिर निकट स्थित पुष्कर झील ब्रह्मा जी द्वारा बनाई गई थी जिसमें लोग स्नान करते हैं.

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