Pitru Paksha 2024: पितृपक्ष में आज दशमी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा. श्राद्धपक्ष के दसवें दिन दशमी का श्राद्ध किया जाता है. दशमी तिथि का श्राद्ध पितरों की आत्मा की शांति और उनका आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है. दशमी तिथि पर उन लोगों का श्राद्ध होता है, जिनकी मृत्यु हिंदू पंचांग के अनुसार दशमी तिथि को होती है. दशमी का श्राद्ध एक विशेष विधि के तहत किया जाता है. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
स्नान, शुद्धि और संकल्प
श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके बाद पूजा स्थल की सफाई और शुद्धिकरण करना चाहिए. इसके बाद श्राद्ध का संकल्प लिया जाता है. हाथ में जल, पुष्प, तिल, और कुश लेकर श्राद्ध करने का संकल्प लेना चाहिए. इसमें अपने पितरों का नाम और गौत्र लिया जाता है.
तर्पण और पिंडदान
पितरों को जल अर्पण करना तर्पण कहलाता है. इस विधि में काले तिल, कुशा और जल लेकर तीन बार पितरों को जल अर्पित किया जाता है. हर बार तर्पण के साथ "पितरों का नाम" लिया जाता है. इसके बाद पिंडदान किया जाता है. इसमें आटे या चावल से गोल पिंड बनाकर पितरों के नाम पर अर्पित किए जाते हैं. यह आमतौर पर 3, 5 या 7 पिंड होते हैं. इन्हें पवित्र मंत्रों के साथ अर्पित करना चाहिए.
ब्राह्मण भोज और दान
पिंडदान और तर्पण के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है. भोजन के दौरान पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें संतुष्ट करने की भावना रखी जाती है. इसके बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीब ब्राह्मण को वस्त्र, अनाज और धन का दान किया जाता है.
पितरों को आशीर्वाद
ब्राह्मणों के भोजन और दान के बाद अपने पितरों से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें. पितरों से सुख-समृद्धि और परिवार की उन्नति के लिए प्रार्थना करें. श्राद्ध की यह विधि पितरों की आत्मा को शांति और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का माध्यम होती है.
aajtak.in