Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा कह गए, ये 3 काम करने वालों का कभी उद्धार नहीं करते भगवान

Neem Karoli Baba: कैंची धाम वाले नीम करोली बाबा को हनुमान जी का अवतार माना जाता है. उनका मानना था कि ईश्वर की कृपा के बिना कुछ भी संभव नहीं. लेकिन इंसान की कुछ गलतियां ईश्वरीय दृष्टि में रुकावट पैदा करती है. इसलिए ये गलतियां कभी न करें.

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नीम करोली बाबा द्वारा कही गई बातें आज भी भक्तों का मार्गदर्शन कर रही हैं. नीम करोली बाबा द्वारा कही गई बातें आज भी भक्तों का मार्गदर्शन कर रही हैं.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:16 PM IST

Neem Karoli Baba Tips: कैंची धाम वाले नीम करोली बाबा का नाम आधुनिक भारत के महान संतों में गिना जाता है. लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार कहते थे. नीम करोली बाबा द्वारा कही गई बातें आज भी भक्तों का मार्गदर्शन कर रही हैं. उनका कहना था कि ईश्वर की कृपा की बगैर संसार में पत्ता भी नहीं हिल सकता है. भौतिक सुख और खुशहाली के लिए भगवान का आशीर्वाद बहुत जरूरी है. लेकिन आदमी की कुछ खास गलतियों के कारण अक्सर ये कृपा रुक जाती है.

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सहयोग-सेवा का गुणगान करना
सनातन धर्म में सेवा या सहयोग करना अत्यंत पुण्य का काम माना जाता है. नीम करोली बाबा कहते थे कि जब लोग अपने सहयोग या सेवा की चर्चा हर जगह करने लगते हैं. यानी उसका गुणगान करने लगते हैं तो इससे उस सेवा का महत्व कम हो जाता है. सच्ची सेवा वही है, जो निस्वार्थ भाव से गुप्त रहकर की जाए. इसलिए जब भी आप किसी की मदद करें तो उसका जिक्र कभी दूसरों के आगे न करें.

झूठ-अन्याय से दूरी
नीम करोली बाबा के अनुसार, जो व्यक्ति असत्य और अन्याय की राह चुनता है, वह ईश्वर की कृपा से हमेशा कोसों दूर रहता है. सत्य और न्याय का पालन करने वालों पर ही ईश्वर मेहरबान होते हैं. दूसरों का अधिकार छीनना, झूठ बोलना या अन्याय करना भगवान की कृपा से आपको दूर कर देता है. छल, कपट या दूसरों से ठगी करने वाले निश्चित ही भगवान की कृपा से वंचित रह जाते हैं. ऐसे लोगों को अपने बुरे कर्मों का फल एक न एक दिन जरूर मिलता है.

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दूसरों से घृणा करना
नीम करोली बाबा कहते हैं कि जो व्यक्ति लोगों के साथ भेदभाव करता है, उसका समाज में सम्मान और ईश्वर की कृपा दोनों समाप्त हो जाते हैं. ईश्वर की नजर में संसार का प्रत्येक जीव समान है. इसलिए किसी के प्रति मन में घृणा न रखें. फिर चाहे वो कोई मनुष्य या जीव ही क्यों न हो. मन में समानता और आदर का भाव रखें. यही आध्यात्मिक उन्नति और ईश्वरीय कृपा का मार्ग है.

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