India vs Bharat: देश में एक नई बहस भारत बनाम इंडिया की छिड़ी हुई है. कुछ लोग भारत के साथ तो कई लोग इंडिया के साथ भी खड़े हैं. राजनैतिक अखाड़े के अलावा यह आम लोगों में भी चर्चा का मुद्दा बना हुआ है. लेकिन ज्योतिष, अंकशास्त्र और वास्तुकार 'भारत' नाम को कैसे देखते हैं और क्या 'भारत' नाम से देश का नया भाग्योदय होगा? इसपर ज्योतिषी, अंकशास्त्रियों और वास्तु शास्त्रियों ने रोशनी डाली.
ज्योतिषियों के मुताबिक भारत का अर्थ
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी बताते हैं कि ज्योतिष और धर्म शास्त्र की मानें तो व्यक्ति, स्थान और वस्तु का जैसा नाम होता है, उसी प्रकार से उस व्यक्ति का व्यक्तित्व और कृतित्व भी होता है और उसका आभामंडल भी उसी प्रकार का होता है. जैसे, किसी व्यक्ति का नाम राम हो जाए तो उसमें रामत्व की सकारात्मक ऊर्जा अधिक रहती है. किसी का नाम रावण रख देने से नकारात्मक ऊर्जा अधिक प्रबल हो जाती है. अथवा दूसरे भाव में समझें तो सीता नाम रखने से उसमें भी इसी प्रकार का भाव रहेगा, शूर्पणखा रख देने से भी उसके नाम के अनुसार ही उसका आचरण माना जाएगा.
भारत शब्द की उत्पत्ति भरत शब्द से हुई है- जिसका मतलब होता है सबका भरण-पोषण करने वाला. जिसके अंदर पूरे विश्व के भरण-पोषण और कल्याण की भावना निहित हो वह भरत यानी भारत है. जो रिक्त स्थान को भरता रहे, वही भारत है. इसलिए भारत समग्र चेतना का प्रतीक और लोक कल्याण का भी प्रतीक है और निर्भीकता का प्रतीक है. इसलिए समग्र धर्म शास्त्र एवं ज्योतिष भारत नाम की प्रशंसा करते नहीं थकते हैं. ज्योतिष और धर्मशास्त्र में इंडिया शब्द का हमारे यहां कोई अस्तित्व ही नहीं है इसलिए देश का नाम भारत ही होना चाहिए. दरअसल, हमारे धर्म शास्त्र और ज्योतिष के ग्रंथों में भारत शब्द अनंत काल से चला आ रहा है.
वास्तुशास्त्र के मुताबिक भारत का अर्थ
जहां तक वास्तुशास्त्र की मानें तो पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि पूरे विश्व में भारतवर्ष की वास्तु की महत्ता इतनी है कि इस भूमि पर भगवान स्वयं अवतार लेते हैं और हर जगहों पर भगवान के दूत और पैगंबर जाते हैं. इसलिए भारत वर्ष की वास्तु भारतवर्ष के नाम से ही जानी जाती है. भारत पर 'वसनम् वास्तु' लागू होता है जिसका अर्थ है कि जहां परमात्मा खुद वास करते हैं. यह भारतवर्ष की सिद्ध धरा है. इंडिया में भगवान के अवतार कहीं से शाश्वत नहीं है, जबकि भारत में अवतार होना धर्म शास्त्रसंगत है. 'श्रीकृष्णस्तु भगवान् स्वयं' यदि देश का नाम भारतवर्ष हो जाएगा तो यह पूरे विश्व का नेतृत्वकर्ता हो जाएगा.
अंकशास्त्री के मुताबिक भारत का मतलब
अंकशास्त्री स्वाती ने बताया कि भारत का नाम विष्णु पुराण के अनुसार राजा भरत के नाम पर पड़ा है. जब भारत का नाम सिर्फ भारत था तो भारत सोने की चिड़िया कहलाती थी और भारत की सभी देशों से मित्रता भी थी और खुशहाल देश था. जबसे भारत का नाम इंडिया हुआ तब से दुश्मन देशों से वैमनस्यता बढ़ गई है. इंडिया नाम देकर विदेशी व्यापारियों ने हमारे देश को बहुत लूटा भी था.
जहां तक अंकशास्त्र की मानें तो भारत के नाम की गणना में कुल 15 अंक मिलते हैं. लेकिन अंकशास्त्र में एक शब्द से ही आकलन किया जाता है. इसलिए 1+5 को जोड़ने पर 6 नंबर ही मिलता है. 6 नंबर अंकशास्त्र में शुक्र का नंबर माना जाता है. शुक्र ग्रह रुतबा, शोहरत, मान-सम्मान और धन-संपदा देने वाले माने जाते हैं. ये शुक्र 1 और 5 से मिलकर बना है. जहां 1 नंबर राजा का होता है और 5 नंबर स्थिरता का होता है. इस लिहाज से भी देखें तो सिर्फ भारत नाम पड़ने से हमारा देश भारत विश्वगुरू बनेगा और हमेशा ऊंचाइयों को छूता रहेगा. अंकशास्त्री स्वाती ने आखिरी में बताया कि देश का नाम भारत हो जाने से एक बार फिर हमारा राष्ट्र सोने की चिड़िया कहलाएगा.
अंक ज्योतिष के अनुसार भारत का अर्थ
देव ज्योतिषी पंडित अश्विनी पांडेय ने बताया कि अंक ज्योतिष के अनुसार भारत का मूलांक 6 है. यानी BHARAT- 2+5+1+2+1+4= 15 और 1+5 = 6. ज्योतिष में 6 अंक का बहुत ही ज्यादा महत्व है. 6 अंक के मुताबिक भारत इंडिया नाम से बहुत ही ज्यादा बेहतर है. क्योंकि इंडिया का मूलांक तीन है और जबकि भारत का मूलांक 6 है. अंक ज्योतिष में सभी जानते हैं कि 6 अंक का बहुत ही ज्यादा महत्व है, जिसे बहुत ही सफलतादायक, आर्थिक, आध्यात्मिक, वैज्ञानिक, सभी में सफलता पाने वाला माना जाता है. यदि भारत देश का नाम आधिकारिक रूप से सभी जगह भारत कर दिया जाए तो इससे भारत की ख्याति, संपन्नता, खुशहाली, प्रगति और अधिक बढ़ जाएगी और भारत निश्चित ही विश्व गुरु के पद पर स्थापित हो जाएगा.
देव ज्योतिष अश्विनी पांडेय ने आगे बताया कि भारतीय संस्कृति में वास्तु और अध्यात्म का संगम सदियों से बना रहा है. जिसके कारण देश विपरीत परिस्थितियों में भी सदैव प्रगति के पथ पर अग्रसर रहा है और भारत का वास्तु भी इसी प्रकार का है कि यह सदैव प्रगति ज्ञान संपन्नता से पूर्ण रहेगा. भारत के पूर्वोत्तर में जल का भंडारण है. बहुत सी नदियों का संगम और उद्गम है. साथ ही उत्तर में हिमालय भी बर्फ होने के कारण जल की अनुभूति ही देता है. अतः सब प्रकार से भारत का वास्तु अच्छा है.
रोशन जायसवाल