Dussehra 2022: रावण के पैर के नीचे दबा नीले रंग का आदमी कौन है? हैरान कर देगा ये रहस्य

Dussehra 2022: अपनी शक्तियों के बल पर रावण किसी को भी अपने वश में कर सकता था. अगर आपने रामायण कभी गौर से देखी हो तो रावण के सिंहासन के पास उसके पैर के नीचे एक नीले रंग का शख्स लेटा दिखाई पड़ता है. क्या आप जानते हैं रावण के पैर के नीचे दबा ये शख्स आखिर कौन है?

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रामायण देखते वक्त क्या आपने कभी रावण के पैर के नीचे दबे नीले आदमी को देखा है? रामायण देखते वक्त क्या आपने कभी रावण के पैर के नीचे दबे नीले आदमी को देखा है?

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 7:04 PM IST

Dussehra 2022: राक्षसराज रावण को अपनी मायावी शक्तियों पर बहुत अभिमान था. अपनी शक्तियों के बल पर रावण किसी को भी अपने वश में कर सकता था. अगर आपने रामायण कभी गौर से देखी हो तो रावण के सिंहासन के पास उसके पैर के नीचे एक नीले रंग का शख्स लेटा दिखाई पड़ता है. क्या आप जानते हैं रावण के पैर के नीचे दबा ये शख्स आखिर कौन है? आखिर क्यों रावण इस पर हमेशा पैर जमाए बैठा रहता है? इसके पीछे छिपा रहस्य जानकर आप सचमुच हैरान रह जाएंगे.

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ज्योतिषविदों के जानकारों का कहना है कि रामायण में रावण के पैर के नीचे नीले रंग का जो शख्स दिखाई देता है, वो कोई और नहीं बल्कि न्याय देव शनि हैं. शनि देव रावण के सिंहासन के ठीक नीचे पैरों की जगह उल्टे लेटे दिखाई पड़ते हैं. जहां रावण उनकी कमर पर पैर रखकर बैठता था. पर रावण ऐसा क्यों करता था और शनि कैसे उनके पैरों के नीचे आ गए, इसकी भी एक कहानी है.

पौराणिक कथा के अनुसार, रावण एक मायावी राक्षस था. तंत्र-मंत्र की सिद्धियों ने उसे महा विद्वान और बड़ा ज्योतिष बना दिया था. इन्हीं शक्तियों के बल पर रावण ने सभी नौ ग्रहों को वश में करके अपने पास बंदी बना लिया था. ऐसा कहते हैं कि रावण सभी ग्रहों को अपने पैरों तले रखता था. ऐसा करके वो अपने पुत्रों की कुंडली में ग्रहों की स्थिति को नियंत्रित करता था. इन ग्रहों में नीले रंग में पुरुष की आकृति में नजर आने वाले शनि देव ही हैं.

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ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को एक क्रूर और शक्तिशाली ग्रह माना गया है. ऐसा कहते हैं कि शनि की दृष्टि पृथ्वी लोक पर रहने वाले किसी भी प्राणी को तबाह कर सकती है. लेकिन रावण इतना ताकतवर था कि उसने शनि को भी अपने वश में कर लिया था. दरअसल, अपने पुत्र की कुंडली बनाते वक्त रावण ने सभी ग्रहों का स्थान अपने हिसाब से बदल दिया था. कुंडली में हर ग्रह रावण के हिसाब से चाल चलने लगा था. लेकिन एकमात्र शनिदेव बार-बार अपना स्थान बदल रहे थे. इससे उसके पुत्र के जीवन में बड़ी समस्याएं आ रही थीं. तब रावण ने शनिदेव को अपने वश में करके उन्हें अपने पैर के नीचे दबा लिया था.

शनि देव कैसे हुए मुक्त?
ऐसा कहते हैं कि जब हनुमान भगवान राम का संदेश लेकर माता सीता के पास लंका गए तो उन्होंने लंका दहन के समय ही शनि देव को रावण के चंगुल से आजाद करा दिया था. कहते हैं कि लंका दहन से ठीक पहले रावण ने शनि देव को कारागृह में डाल दिया था और उसके बाहर एक शिवलिंग स्थापित कर दिया था, ताकि इस पर पैर रखने के डर से शनि यहां से निकल ही ना पाए. तब हनुमान जी ने लंका आकर शनि देव को मुक्त कराया था.

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