Tungnath Temple: इस मंदिर में होती है महादेव की भुजाओं की पूजा, राम और पांडवों से है खास कनेक्शन

Tungnath Temple: पंचकेदारों के तृतीय केदार के रूप में प्रतिष्ठित बाबा तुंगनाथ की डोली का विशेष धार्मिक महत्व है. केदारनाथ, मध्यमहेश्वर और तुंगनाथ-इन तीनों केदारों में से केवल बाबा तुंगनाथ की डोली ही नृत्य करती है. मान्यता है कि जब भोलेनाथ अपने क्रोध को प्रकट करना चाहते हैं, तो वह बाबा तुंगनाथ की डोली के माध्यम से प्रकट होता है.

Advertisement
तुंगनाथ  मंदिर तुंगनाथ मंदिर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 मई 2025,
  • अपडेटेड 3:38 PM IST

Tungnath Temple: 30 अप्रैल को गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुलते ही उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का आगाज हो चुका है. इस कड़ी में 2 अप्रैल को सुबह 7 बजे बाबा केदारनाथ धाम के कपाट भी खोले गए. केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हिंदुओं का प्रसिद्ध मंदिर है. यहां पंचकेदार में से एक बाबा तुंगनाथ का मंदिर भी मौजूद है. यह दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है, जो समुद्र तल से करीब 3,480 मीटर की ऊंचाई पर है. आइए आज आपको इस मंदिर के बारे में विस्तार से बताते हैं.

Advertisement

तुंग एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है भुजाएं. ऐसी मान्यताएं हैं कि यहां भगवान शिव की भुजाएं हैं. हिमालय की खूबसूरत प्राकृतिक सुंदरता के बीच बना यह मंदिर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. बाबा केदारनाथ धाम की यात्रा करने वाले कई श्रद्धालु तुंगनाथ में भी हाजिरी लगाकर आते हैं.

बाबा तुंगनाथ की डोली का महत्व

पंचकेदारों के तृतीय केदार के रूप में प्रतिष्ठित बाबा तुंगनाथ की डोली का विशेष धार्मिक महत्व है. केदारनाथ, मध्यमहेश्वर और तुंगनाथ-इन तीनों केदारों में से केवल बाबा तुंगनाथ की डोली ही नृत्य करती है. मान्यता है कि जब भोलेनाथ अपने क्रोध को प्रकट करना चाहते हैं, तो वह बाबा तुंगनाथ की डोली के माध्यम से प्रकट होता है. डोली के नृत्य के दौरान निकट आने पर शरीर कांपने लगता है और भक्तों की आंखों से आंसू बहने लगते हैं.

Advertisement

तुंगनाथ मंदिर की पौराणिक कथा

हजारों साल पुराने तुंगनाथ मंदिर का इतिहास काफी समृद्ध है. पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत के युद्ध में भारी नरसंहार के कारण भगवान शिव पांडवों से रुष्ट हो गए थे. उन्हें प्रसन्न करने के लिए पांडवों ने पंचकेदार की यात्रा की और तुंगनाथ मंदिर का निर्माण किया.

एक अन्य मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने इसी जगह भगवान शिव से विवाह करने के लिए तपस्या की थी. स्थानीय लोग मंदिर से जुड़ी एक और कथा बताते हैं कि भगवान राम ने रावण के वध के बाद ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए यहां तपस्या की थी. यही कारण है इस स्थान को चंद्रशिला के नाम से भी जाना जाता है. तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक केंद्रों में से एक है.
 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement