Adhik Maas 2026: 12 नहीं 13 महीने का होगा नववर्ष 2083! जानें क्या है इसके पीछे का विशेष कारण

Adhik Maas 2026: साल 2026 ज्योतिष और पंचांग के लिहाज से बेहद खास रहने वाला है. इस वर्ष अधिकमास पड़ने के कारण 12 नहीं बल्कि 13 महीने होंगे, जिसमें ज्येष्ठ मास दो बार पड़ेगा. इसको पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. इस दौरान कुछ काम वर्जित होते हैं, वहीं पूजा-पाठ और भक्ति का विशेष महत्व बताया गया है.

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कब से शुरू होगा अधिकमास 2026 (Photo: ITG) कब से शुरू होगा अधिकमास 2026 (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:58 AM IST

Adhik Maas 2026: नया साल 2026 की शुरुआत कुछ ही दिनों में होने जा रही है. ज्योतिषियों के अनुसार, नया साल 2026 कुछ खास रहने वाला है, क्योंकि यह आम वर्षों की तरह 12 नहीं बल्कि 13 महीनों का साल होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि साल 2026 में अधिक मास पड़ रहा है. हिंदू पंचांग में इसे अधिकमास और पुरुषोत्तम मास कहा जाता है, जबकि अंग्रेजी कैलेंडर में इसी तरह के अतिरिक्त समय को लीप ईयर से जोड़कर देखा जाता है.

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2026 में अधिक मास कब पड़ेगा? (Adhik Maas 2026 Date & Tithi)

विक्रम संवत 2083 के अनुसार, साल 2026 में 17 मई से 15 जून 2026 तक अधिकमास रहेगा. यह अधिक मास ज्येष्ठ महीने के दौरान आएगा. इस समय को भगवान विष्णु की पूजा, जप-तप, व्रत और तीर्थ यात्रा के लिए बहुत शुभ माना जाता है.

अधिकमास क्यों आता है?

हिंदू पंचांग सूर्य और चंद्रमा दोनों की चाल पर आधारित होता है. लगभग 32 सौर महीनों में 33 चंद्र महीने पूरे हो जाते हैं. इससे सूर्य और चंद्र कैलेंडर में करीब एक महीने का अंतर आ जाता है. इसी अंतर को ठीक करने के लिए ऋषि-मुनियों ने अधिकमास की व्यवस्था की थी. यह अधिक मास लगभग हर तीन साल में एक बार आता है.

अधिकमास का महत्व क्या है? (Adhik Maas 2026 Significance)

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अधिकमास से पंचांग और ऋतुओं के बीच संतुलन बना रहता है. अगर यह व्यवस्था न हो, तो त्योहार और मौसम गड़बड़ा सकते हैं. जैसे सावन सर्दियों में आ सकता है या होली बरसात में पड़ सकती है. इसलिए अधिक मास बहुत जरूरी माना गया है.

अधिकमास में कौन से काम नहीं करने चाहिए? (Adhik Maas 2025 Donts & Niyam)

अधिकमास को मलमास भी कहा जाता है. इस दौरान कुछ शुभ कार्य नहीं किए जाते, जैसे- विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार, नामकरण, प्रॉपर्टी खरीदना, नया बिजनेस शुरू करना आदि काम नहीं किए जाते हैं. हालांकि, इस समय भक्ति, पूजा-पाठ, व्रत और दान करने से विशेष पुण्य मिलता है.

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