Varalakshmi Vrat 2025: कब है वरलक्ष्मी माता का व्रत, जानें पूजन विधि और सुख-समृद्धि के उपाय

Varalakshmi Vrat 2025: इस साल वरलक्ष्मी व्रत 8 अगस्त को रखा जाएगा. वरलक्ष्मी का व्रत मां लक्ष्मी को ही समर्पित है. इस दिन वरलक्ष्मी का पूजन उसी तरह किया जाता है जैसे कि दीवाली के दिन किया जाता है. इस व्रत के प्रभाव से परिवार में सुख-शांति, संपत्ति और आरोग्य का वास होता है. 

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वरलक्ष्मी व्रत 2025 (File Photo: Pixabay) वरलक्ष्मी व्रत 2025 (File Photo: Pixabay)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 6:51 AM IST

Varalakshmi Vrat 2025: श्रावण मास के शुक्ल पक्ष को वरलक्ष्मी व्रत रखा जाता है. यह व्रत अष्टलक्ष्मी की पूजा के जैसा ही होता है. विशेषरूप से यह व्रत दक्षिण भारत के राज्यों जैसे तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में रखा जाता है. वरलक्ष्मी व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि, धन और वैभव की प्राप्ति होती है, साथ ही दरिद्रता और कष्ट दूर होते हैं. 

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इस साल वरलक्ष्मी व्रत 8 अगस्त को रखा जाएगा. वरलक्ष्मी का व्रत मां लक्ष्मी को ही समर्पित है. इस दिन वरलक्ष्मी का पूजन उसी तरह किया जाता है जैसे कि दीवाली के दिन किया जाता है. इस व्रत के प्रभाव से परिवार में सुख-शांति, संपत्ति और आरोग्य का वास होता है. 

वरलक्ष्मी व्रत की तिथि (Varalakshmi Vrat 2025 Tithi)

पंचांग के अनुसार, वरलक्ष्मी व्रत की तिथि 8 अगस्त को सूर्योदय के साथ शुरू हो जाएगी और तिथि का समापन 9 अगस्त को सूर्योदय के साथ ही होगा. 

वरलक्ष्मी व्रत पूजन के मुहूर्त (Varalakshmi Vrat 2025 Pujan Muhurat)

- सिंह लग्न पूजन मुहू्र्त- सुबह 6 बजकर 29 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगा, जिसकी अवधि 2 घंटे 17 मिनट की रहेगी.

- वृश्चिक लग्न पूजन मुहूर्त- दोपहर 1 बजकर 22 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 41 मिनट तक रहेगा, जिसकी अवधि 2 घंटे 19 मिनट की रहेगी.

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- कुंभ लग्न मुहूर्त- शाम 7 बजकर 27 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 54 मिनट तक रहेगा, जिसकी अवधि 1 घंटे 27 मिनट की रहेगी.

- वृषभ लग्न मुहूर्त- रात 11 बजकर 55 मिनट से लेकर 9 अगस्त तड़के 1 बजकर 50 मिनट तक रहेगा, जिसकी अवधि 1 घंटे 56 मिनट रहेगी.

वरलक्ष्मी व्रत 2025 पूजन विधि (Varalakshmi Vrat 2025 Pujan Vidhi)

मां वरलक्ष्मी की पूजा में पूजा के चरण दीवाली की महालक्ष्मी पूजा के समान होते हैं, लेकिन इसमें दोरक और वायन की पूजा के विशेष चरण और मंत्र शामिल होते हैं. दोरक एक पवित्र धागा है जिसे पूजा के दौरान बांधा जाता है, जबकि वायन देवी वरलक्ष्मी को अर्पित किए जाने वाले मिष्ठान्न को कहते हैं. यह पूजा विधि वरलक्ष्मी व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

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