Matangi Jayanti 2021: मातंगी जयंती आज, जानें क्यों लगाया जाता है मां मातंगी को जूठन का भोग

आज यानी 15 मई दिन शनिवार को मातंगी जयंती मनाई जा रही है. मातंगी देवी मां गौरी का ही स्वरूप हैं. इन्हें वाणी और संगीत की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है. मां मातंगी की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को ज्ञान, सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति होती है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 मई 2021,
  • अपडेटेड 5:24 PM IST
  • आज मनाई जा रही है मातंगी जयंती
  • मां मातंगी को लगाया जाता है जूठन का भोग

आज यानी 15 मई दिन शनिवार को मातंगी जयंती मनाई जा रही है. मातंगी देवी मां गौरी का ही स्वरूप हैं. इन्हें वाणी और संगीत की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है. मां मातंगी की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को ज्ञान, सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति होती है. माना जाता है मां मातंगी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. धार्मिक कथाओं के अनुसार ऋषि मतंग के यहां मां दुर्गा के आशीर्वाद से कन्या का जन्म हुआ. इसलिए इनका नाम मातंगी पड़ा. माता मातंगी का रूप श्याम वर्ण, सुंदर और कोमल है. मां अपनी भुजाओं में कपाल, वीणा, खड्ग और वेद को धारण किए हुए हैं. शास्त्रों के अनुसार, मांतगी देवी को 'जूठन का भोग' लगाया जाता है.

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पौराणिक कथाओं के अनुसार
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी एक साथ कैलाश पर्वत पर भगवान शिव और मां पार्वती से मिलने गए थे. तब भगवान विष्णु ने भगवान शिव और मां पार्वती को खाने के लिए कुछ दिया तब भगवान शिव और मां पार्वती ने उसे ग्रहण तो किया पर उसका कुछ भाग पृथ्वी पर गिर गया. इसे एक श्याम वर्ण वाली दासी ने खा लिया. इसके बाद उसके गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ जिसे मां मातंगी का नाम दिया गया था. यही वजह है कि मां मांतगी को जूठन का भोग लगाया जाता है.

मां पार्वती का स्वरूप हैं मां मातंगी
शास्त्रों के अनुासार, एक बार भ्रमण के दौरान मां पार्वती एक मलिन बस्ती में पहुंच गई. वहां कुछ मलिन महिलाएं भोजन कर रही थीं. मां पार्वती को अपने सामने देख वह सभी महिलाएं चकित हो उठीं. उन सभी ने अपनी भोजन की थाली मां पार्वती के सामने रख दी, जिसे देख सभी देवता गुस्सा हो उठे. पर मां पार्वती ने सभी महिलाओं के प्रेम और श्रद्धा को देखकर मातंगी का स्वरूप धारण किया और उस जूठन को ग्रहण किया. इसलिए मां को जूठन का भोग लगाया जाता है. मातंगी देवी की जयंती पर माता की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन कन्या पूजन भी होता है. माता को भोग लगाकर, सभी भक्तों में प्रसाद वितरित किया जाता है. इस दिन जागरण एवं भजन किर्तन भी किए जाते हैं. मंदिरों में भक्तगण भक्ति और श्रद्धा के साथ माता के जयकारे लगाते हैं.

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