Kurma Jayanti 2024: वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कूर्म जयंती मनाई जाती है. यह त्योहार भगवान विष्णु को समर्पित है. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु के कूर्म यानी कछुए के अवतार की पूजा की जाती है. सतयुग में समुद्र मंथन के वक्त भगवान विष्णु ने विशाल मंदराचल पर्वत उठाने के लिए कछुए का अवतार ले लिया था. आइए आपको कूर्म जयंती का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि बताते हैं.
विष्णु जी ने क्यों लिया कूर्म अवतार?
पैराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान मंदार पर्वत को उठाने के लिए देवताओं को किसी ऐसी चीज की जरूरत थी, जो ठोस होते हुए भी पानी में ना डूब सके. ऐस में भगवान विष्णु ने कछुए का अवतार लिया और अपनी पीठ पर विशाल मंदराचल पर्वत को उठा लिया. इसके बाद ही समुद्र मंथन संभव हो सका. ऐसी मान्यताएं हैं कि भगवान विष्णु ने सतयुग में कूर्म अवतार लिया था. यह भगवान विष्णु का दूसरा अवतार माना जाता है. इस दिन घर में भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की पूजा करने से सुख-समृद्धि आती है.
कूर्म जयंती का शुभ मुहूर्त
वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि 22 मई को शाम 05 बजकर 17 मिनट पर शुरु हो रही है. इस तिथि का समापन 23 मई को शाम 05 बजकर 52 मिनट पर होगा. ऐसे में उदिया तिथि के चलते कूर्म जयंती 23 मई दिन गुरुवार को मनाई जाएगी. कूर्म जयंती पर भगवान विष्णु की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 04.25 बजे से रात 07.10 बजे तक रहने वाला है.
कूर्म जयंती पर घर ले आएं ये एक चीज
कूर्म जयंती के दिन घर में चांदी या धातु से बना कछुआ लाना बहुत शुभ होता है. इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह कम होता है. आप घर की उत्तर दिशा में कूर्म यंत्र भी रख सकते हैं. इसे बेडरूम में रखने की बजाए ड्रॉइंग रूम में रखें. जिस घर में धातु से बना कछुआ रहता है, वहां कभी धन के भंडार खाली नहीं रहते हैं.
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