शहीद भाई को राखी बांधने हर साल 800 किमी दूर से आती है बहन, दिल छू लेगी कहानी

राजस्थान के फतेहपुर में एक बहन हर साल रक्षा बंधन के मौके पर 800 किमी की यात्रा कर अपने शहीद भाई को राखी बांधने आती है. 17 साल पहले शहीद हो चुके भाई की प्रतिमा को बहन हर साल राखी बांधती है.

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भाई की प्रतिमा को राखी बांधती है बहन भाई की प्रतिमा को राखी बांधती है बहन

aajtak.in

  • फतेहपुर,
  • 11 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 11:31 PM IST

रक्षाबंधन को भाई-बहन के पवित्र प्यार का प्रतीक माना जाता है. इसी प्यार को निभाने के लिए राजस्थान के फतेहपुर में एक बहन अपने शहीद भाई को राखी बांधने के लिए 800 किमी की यात्रा कर हर साल आती है. शहीद भाई धर्मवीर सिंह की प्रतिमा को राखी बांधने के लिए उसकी बहन उषा इतना लंबा सफर करती है.

उषा ने कहा, भाई से प्यार का बंधन तो हमेशा दिलों में रहेगा यही वजह है कि भाई के शहीद होने के 17 वर्षों बाद भी वह उसकी प्रतिमा को राखी बांधना नहीं भूलती है. उषा ने रक्षाबंधन पर अपने भाई को याद करते हुए कहा कि हकीकत में तो नहीं लेकिन यादों में वो जिंदा हैं.

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देश सेवा में शहीद हुए भाई के लिए यह प्रेम लोगों के लिए अब मिसाल है. दीनवा लाडखानी गांव में शहीद धर्मवीर सिंह शेखावत की बहन उषा कवंर 17 साल से शहीद भाई की प्रतिमा को राखी बांधने के लिए अहमदाबाद से यहां आती हैं.     

    

बहन उषा कंवर का कहना है कि भाई देश सेवा के लिए शहीद हो गया, उसकी बहुत याद आती है. वो सच में तो जिंदा नहीं हैं लेकिन हमारे दिल में तो जिंदा है. वो लोगों के लिए भले ही मर चुका है लेकिन हमें नई राहें दिखाने के लिए जिंदा है. बहन उषा कंवर ने जब शनिवार को शहीद धर्मवीर की प्रतिमा को राखी बांधी तो वो भावुक होकर रोने लगी.

बता दें की धर्मवीर सिंह कश्मीर के लाल चौक में तैनात थे, जहां साल 2005 में हुए आंतकी हमले में वो शहीद हो गए. यह कहानी अकेले दीनवा गांव की नहीं है ब्लकि पूरे शेखावाटी की है. 

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रक्षाबंधन पर शहीद भाइयों की बहन उनकी प्रतिमाओं पर राखी बांधती है क्योंकि उन सब बहनों के लिए आज भी उनका भाई जिंदा है. ऐसे ही हजारों बहन अपने अपने फौजी भाईयों को सीमा पर राखी भेजती है ताकि वो देश की सुरक्षा कर सकें.

दीनवा लाड़खानी को वैसे भी शहीदों का गांव कहा जाता है. गांव में तीन शहीदों की प्रतिमाएं लगी हुई है. उन्हें देखकर आज भी हजारों युवा सेना में जाने का सपना संजोए रखते हैं.(इनपुट - राकेश गुर्जर)


 

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