रामगढ़ उपचुनाव: गाय सबसे बड़ा मुद्दा, मुस्लिम बहुल सीट पर BJP का जोर, ऐसा है जीत का समीकरण

रामगढ़ सीट पर इस बार बीजेपी ने अपने सभी बाग़ियों को बैठा लिया है ताकि हिंदू वोटों में बंटवारा ना हो. दरअसल जब-जब तीसरा मोर्चा यानी बसपा या आसपा से हिंदू प्रत्याशी खड़ा हुआ तो भाजपा हारी है और जब मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा हुआ तो कांग्रेस हार गई.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

शरत कुमार

  • जयपुर,
  • 02 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:54 PM IST

राजस्थान के रामगढ़ विधानसभा सीट उपचुनाव ने गाय को राजस्थान में फिर एक बार सियासी मुद्दा बना दिया है. राजस्थान सरकार के गाय के आवारा पशु कहने पर बैन से लेकर राज्य माता का दर्जा और पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की बात कही जा रही है क्योंकि मुस्लिम बहुल रामगढ़ सीट पर गोतस्करी ही सबसे बड़ा मुद्दा है. 

जब से फायर ब्रांड हिंदूवादी नेता ज्ञान देव आहूजा का टिकट वसुंधरा राजे ने काटा है तब से बीजेपी इस सीट पर जीत नहीं रही है. इस बार बीजेपी ने पिछले चुनाव में बागी होकर लड़ने वाले सुखवंत सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस ने अपने विधायक जुबैर खान की मौत के बाद उनके बेटे आर्यन जुबैर को उतारा है. 

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आर्यन की मां और 2018 में चुनाव जीती शाफिया जुबैर पति की मौत के बाद धार्मिक रस्मों की वजह से चुनाव नहीं लड़ रही है. इस सीट पर कांग्रेस के महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.

बागी बड़ा फ़ैक्टर -हिंदू हैं या मुस्लिम

इस बार बीजेपी ने अपने सभी बाग़ियों को बैठा लिया है ताकि हिंदू वोट बंटे नही क्योंकि जब-जब तीसरा मोर्चा यानी बसपा या आसपा से हिंदू प्रत्याशी खड़ा हुआ तो भाजपा हारी और जब मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा हुआ तो कांग्रेस हार गई.  इस बार उप चुनाव में तीसरा मोर्चा के कमजोर होने से भाजपा की राह आसान होती दिख रही है. क्योंकि बीजेपी से बगावत करने वाले जय आहूजा के तेवर तीसरे दिन ही ढीले हो गए हैं और और वे अपनी ही महापंचायत में पार्टी के नेताओं के सामने सरेंडर हो गए. लेकिन बीजेपी में अभी भितरघात का खतरा टला नहीं है. अगर बीजेपी भितरघात को रोकने सफल होती है तो सफलता की राह भी आसान हो जाएगी.

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पिछले तीन चुनावों का समीकरण
पिछले साल के 2023 के विधानसभा चुनाव में तीसरे मोर्चा यानी आजाद समाज पार्टी से बीजेपी के बागी सुखवंत सिंह मैदान में आ गए और बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाकर 74069 वोट ले गए. इससे बीजेपी प्रत्याशी जय आहूजा की जमानत जब्त हो गई. वह बीजेपी प्रत्याशी होने के बावजूद 34 हजार 882 वोट पर सिमट गए. इस सीट पर ये बीजेपी का सबसे खराब प्रदर्शन रहा. जबकि कांग्रेस के जुबैर खान 93 हजार 765 वोट लेकर चुनाव जीत गए. बीजेपी के उम्मीदवार और उसके बागी के वोट जोड़ दें तो कांग्रेस के जीते हुए उम्मीदवार से बहुत ज़्यादा था.

पिछले वर्षों का रिकार्ड देखें तो 2008 में तीसरे मोर्चा से बसपा से फजरू खान खडे़ हुए और वे 8129 वोट पर ही सिमट गए. लेकिन इन्होंने मुस्लिम वोट काटकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया, जिससे भाजपा के ज्ञानदेव आहूजा 61 हजार 493 वोट लेकर चुनाव जीत गए. जबकि जुबैर खान को 45 हजार 411 वोट मिले.

2013 में भी बसपा से फजरू खान को ही टिकट मिला और वे 7790 मतों पर ही सिमट गए, लेकिन जो वोट काटे वे मुस्लिम वोट ही थे. इस चुनाव में भाजपा के ज्ञानदेव आहूजा जीते. आहूजा ने 73 हजार 842 और कांग्रेस के जुबैर खान को 69 हजार 195 वोट मिले. इन दोनों ही चुनावों में तीसरे मोर्चा यानी बसपा से मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में था, जिसने कांग्रेस के जुबैर खान को मुस्लिम वोटों का नुकसान पहुंचाया तभी भाजपा जीती.

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लेकिन 2018 में हालात बिलकुल बदल गए. यहां बसपा से हिंदू प्रत्याशी जगत सिंह चुनावी मैदान में आ गए और हिंदू वोटों को काटकर कांग्रेस को सीधे तौर पर फायदा पहुंचा दिया. जगत सिंह 24 हजार 856 वोट लेकर कांग्रेस की साफिया खान को जिता गए. साफिया खान को 83 हजार 311 और भाजपा के सुखवंत सिंह को 71 हजार 83 वोट मिले.

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रामगढ़ के जातीय समीकरण
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 74 हजार 180 मतदाता है. इनमें 1 लाख 29 हजार 20 हजार 266 महिला मतदाता, 1 हजार44 हजार 914 पुरुष मतदाता है. जबकि 366 विशेष योग्यजन मतदाता है. इनमें 85 साल से अधिक उम्र के 168 मतदाता हैं.

जातिय आधार पर नजर
70 हजार मुस्लिम मेव वोटर
40 हजार ओड राजपूत
20 हजार जाट वोटर
22 हजार सैनी वोटर
15 हजार मूर्तिकार
7 हजार मीणा
6 हजार गुजर
4 हजार यादव
15 हजार सरदार
35 हजार ब्राह्मण व वश्य
40 हजार एससी

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