राजस्थान के धौलपुर जिले के बीहड़ में एक लाख 15 हजार रुपए के इनामी डकैत केशव गुर्जर की गैंग और पुलिस के बीच रविवार को मुठभेड़ हुई. 6 घंटे चली इस मुठभेड़ में पुलिस को गोली से डकैत केशव घायल हो गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है.
वहीं, उसके चार साथी बीहड़ की आड़ लेकर भागने में कामयाब रहे. अब धौलपुर पुलिस उनकी तलाश कर रही है. इस कार्रवाई को धौलपुर एसपी धर्मेंद्र सिंह यादव के नेतृत्व में अंजाम दिया गया है. पुलिस की इस उपलब्धि पर भरतपुर रेंज के आईजी ने खुशी जाहिर की है.
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4 थानों की पुलिस और तीन स्पेशल टीमें लगी थी पीछे
दरअसल, धौलपुर पुलिस को डकैत केशव गुर्जर की काफी समय से तलाश थी. रविवार को धौलपुर एसपी धर्मेंद्र सिंह यादव को केशव के बाड़ी उप खंड के बीहड़ में छिपे होने की सूचना मिली थी. इसके बाद एसपी, बाड़ी सीओ मनीष कुमार शर्मा, सोने का गुर्जा थाना पुलिस, बाड़ी कोतवाली पुलिस, बाड़ी सदर थाना पुलिस, डीएसटी, एडीएफ और क्यूआरटी टीम ने बाड़ी उपखंड के बीहड़ में डकैत केशव और उसकी गैंग की सर्चिंग की.
सर्चिंग के दौरान गुर्जा थाना क्षेत्र के सोहन बाबा मंदिर के पास डकैत की गैंग और पुलिस टीमों की मुठभेड़ हुई. दोनों तरफ से जमकर गोलियां चलीं. इसी दौरान पैर में पुलिस की गोली लगने से केशव घायल हो गया. इसके बाद उसके चार साथी बीहड़ की आड़ में भाग निकले. मुठभेड़ में डकैतों की चलाई गोली पुलिसकर्मियों की बुलेट प्रूफ जैकेट में लगने से कोई भी पुलिसकर्मी घायल नहीं हुआ.
पुलिस ने घायल डकैत को धर दबोचा और उसके साथियों की तलाश में पुलिस की टीमें बीहड़ में सर्चिंग कर रही हैं. वहीं, घायल डकैत केशव गुर्जर को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है. वहीं, डकैत गैंग के साथ धौलपुर पुलिस की हुई मुठभेड़ की भरतपुर आईजी गौरव श्रीवास्तव मॉनिटरिंग कर रहे थे.
छह माह में पांच बार आमना-सामना, 6वीं बार पकड़ा गया
धौलपुर जिले में एसपी धर्मेंद्र सिंह यादव की नियुक्ति होने के बाद से 6 महीने में पुलिस का पांच बार डकैत केशव से आमना-सामना हो चुका है. साल 2022 के नवंबर के महीने में चंद्रपुरा के बीहड़ और सोने का गुर्जा थाना इलाके के ओलेट की खिरकारी में हुई मुठभेड़ में दोनों तरफ से 190 और 65 राउंड फायरिंग हुई थी. उस दौरान पुलिस ने केशव के दो साथी रामबृज और रामोतार उर्फ बंटी को पकड़ा था. मगर, केशव भागने में सफल हो गया था.
एमपी, यूपी और राजस्थान में करता था वारदात
डकैत केशव गुर्जर और उसका गैंग एमपी, यूपी और राजस्थान में संगीन वारदातों को अंजाम देता था. तीन राज्यों की पुलिस ने उस पर एक लाख 15 हजार रुपये के इनाम घोषित कर रखा था. डकैत केशव के खिलाफ हत्या के प्रयास, लूट, नकबजनी, रंगदारी जैसी तीन दर्जन से अधिक संगीन धाराओं में आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं.
डकैत केशव के भाई शीशराम गुर्जर की गिरफ्तारी पर 25 हजार रुपये और साथी बंटी पंडित की गिरफ्तारी पर 5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है. पुलिस के मुताबिक, डकैत केशव गुर्जर धौलपुर जिले के कुदिन्ना गांव का रहने वाला है. वह करीब दस साल से फरार चल रहा था. लंबे समय से वह धौलपुर पुलिस के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा था.
गैंग में कितने सदस्य इसकी जानकारी नहीं
डकैत केशव की गैंग में कितने सदस्य हैं, इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं हैं. मगर, बताया जाता है कि गैंग में करीब डेढ़ दर्जन सदस्य जुड़े हुए हैं. गैंग के सदस्यों के पास आधुनिक हथियार हैं. डकैत केशव ने शादी नहीं की है और न ही उसका कोई परिवार है.
बाइक चोरी से डकैत बनने तक का सफर
केशव गुर्जर साल 2007 में डकैत जगन गुर्जर से जुड़ा था. शुरुआत में वह बाइक चोरी करता था. इसके बाद लगातार अपराधों में आगे बढ़ता गया. 40 साल का डकैत केशव गुर्जर अपनी गैंग के साथ धौलपुर से लेकर एमपी के मुरैना और इनसे सटे जिलों में माइनिंग व्यापारियों, बिजनेसमैन और प्रॉपर्टी डीलर्स से फिरौती वसूलती है. केशव गुर्जर की गैंग में उसका भाई भी शामिल है.
338 वर्ग किमी से ज्यादा क्षेत्र में फैला चंबल का बीहड़
धौलपुर जिले के सरमथुरा से राजाखेड़ा क्षेत्र तक करीब सौ किलोमीटर से अधिक इलाके में चंबल नदी बह रही है. इसका बीहड़ और डांग यानी जंगल का इलाका भूल-भुलैया जैसा है. इन बीहड़ों में रास्ते नहीं हैं, मिट्टी के बड़े-बड़े टीले और घने जंगल हैं. इसकी वजह से दूर-दूर तक कुछ भी दिखाई नहीं देता.
कोई निश्चित रास्ता नहीं होने से कहां पर घुसेंगे और कहां निकलेंगे, यह जान पाना कठिन है. करीब 338 वर्ग किमी क्षेत्र में चंबल के खादरों में दस्युओं को खोज पाना मुश्किल है. असल में खादर भूल-भुलैया की तरह है, क्योंकि मिट्टी की खादरों में संकरे रास्ते एक जैसे नजर आते हैं.
डकैत बीहड़ों के रास्ते अच्छी तरह पहचाने हैं. इन रास्तों पर पुलिस को डकैतों को तलाशने में काफी दिक्कतें आती हैं. चंबल के बीहड़ों में रहने वाले डकैतों का खौफ डांग इलाकों के लोगों पर अधिक बना रहता है, क्योंकि डकैत डांग के गांवों में भी शरण लेते हैं.
डांग में डकैतों का आतंक अधिक होने के कारण लोगों को भी मजबूरन पुलिस की जगह डकैतों का साथ देना पड़ता है. डांग क्षेत्र के रहने वाले ज्यादातर लोग चरवाहे और पशु पालक हैं, जो दूध बेच कर भरण-पोषण करते हैं. ऐसे में पुलिस की मुश्किल और बढ़ जाती है.
उमेश मिश्रा