राजस्थान के धौलपुर जिले के सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी की स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है. हाल ही में प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एसएमएस में हुए भीषण अग्निकांड में आठ लोगों की जान चली गई थी. इसके बावजूद जिले के एमसीएच अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में फायर सिस्टम की हालत बेहद जीर्ण-शीर्ण है. आजतक की टीम ने दोनों अस्पतालों का दौरा कर हालात देखे और पाया कि सुरक्षा की कई व्यवस्थाएं नाममात्र ही है.
एमसीएच अस्पताल में फायर सिस्टम तो लगा है, लेकिन यह कबाड़ बन चुका है. लोहे के पाइप जंग खा चुके हैं, रबर होस क्रैक हो चुके हैं, नोजल और हौज गायब हैं. फायर सिस्टम के बॉक्स भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं और कई बॉक्स में शराब की खाली बोतलें मिलीं. टैंक और मोटर खराब पड़े हैं और पानी में डूबे हुए हैं. ऐसे में आग लगने पर फायर सिलेंडर से नियंत्रण संभव नहीं होगा. अस्पताल परिसर में फायर लाइन सिस्टम तो लगा है, लेकिन लंबी समय से बंद पड़ी इन लाइनों को आपात स्थिति में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
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एमसीएच में रोजाना हजारों प्रसूता और बच्चे आते हैं और सैकड़ों भर्ती रहते हैं. बावजूद इसके यहां फायरमैन की कोई व्यवस्था नहीं है. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि स्टाफ को आग बुझाने की ट्रेनिंग दी गई है, लेकिन कोई फायर ड्रिल अब तक नहीं हुई है. मेडिकल कॉलेज का नया अस्पताल भी फायर सेफ्टी के मामले में पूरी तरह सुरक्षित नहीं है. आजतक की टीम ने देखा कि एक वार्ड में पाइप से पानी बंद नहीं हुआ, जिससे मरीजों में भगदड़ मच गई. इलेक्ट्रिशियन को बुलाकर नोजल बंद कराना पड़ा. यहां भी फायरमैन की व्यवस्था नहीं है.
एमसीएच अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर हरिओम गर्ग ने बताया कि फायर सिस्टम की मरम्मत के लिए कई बार उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है. स्टाफ को आग बुझाने की ट्रेनिंग दी गई है और वार्डों में फायर सिलेंडर रखे गए हैं. उन्होंने कहा कि अगर सरकार अस्पतालों में फायर सिस्टम के लिए कार्मिक लगाए तो समय-समय पर रखरखाव किया जा सकेगा.
जिला अस्पताल के पीएमओ डॉक्टर बीडी व्यास ने बताया कि एमसीएच अस्पताल में फायर सिस्टम का पंप नीचे स्थित है और बारिश में मोटर पानी में डूब जाती है. सिस्टम लंबे समय से बंद पड़ा है. मरम्मत के लिए साढ़े तीन लाख रुपये का खर्चा आएगा, लेकिन बजट अभी उपलब्ध नहीं है. उन्होंने बताया कि अस्पताल में ज्वलनशील पदार्थ सुरक्षित जगह पर रखे गए हैं और स्टाफ को ट्रेनिंग दी गई है.
उमेश मिश्रा