चौरासी उपचुनाव: BAP के मजबूत किले में संघर्ष करते राष्ट्रीय दल, BJP संघ तो कांग्रेस यूथ संगठन के भरोसे

राजस्थान के आदिवासी इलाके चौरासी उपचुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के लिए अब अपना गढ़ बचाने का चुनाव हो गया है. BAP पार्टी का सबसे बड़ा मुद्दा भील प्रदेश बनाने का है तो बीजेपी का हिंदुत्व और आदिवासी कल्याण का है, वहीं कांग्रेस अतीत के अपने परंपरागत आदिवासी वोटों के जड़ की तलाश में है.

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चौरासी उपचुनाव में संघर्ष करती बीजेपी-कांग्रेस चौरासी उपचुनाव में संघर्ष करती बीजेपी-कांग्रेस

शरत कुमार

  • जयपुर,
  • 09 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:28 PM IST

राजस्थान के आदिवासी इलाके चौरासी उपचुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के लिए अब अपना गढ़ बचाने का चुनाव हो गया है. भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के बढ़ते प्रभाव ने दोनों ही राष्ट्रीय दलों की राजनीति को किनारे धकेल दिया है. राज्य में बीजेपी की भजनलाल सरकार बनने के बाद पहला उपचुनाव बांसवाड़ा जिले बागीदौरा विधानसभा के लिए हुआ.

कांग्रेस के कद्दावर नेता विधायक महेन्द्रजीत सिंह मालवीय के बीजेपी में शामिल होने की वजह से हो रहे उपचुनाव में BAP पार्टी ने पहली बार बांसवाड़ा में धमाकेदार जीत हासिल की. कभी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता रहे युवा सांसद राजकुमार रोत ने आदिवासी पहचान, आदिवासी स्वाभिमान के नारे के साथ BAP को जबरदस्त सफलता दिलवाई थी. BAP का सबसे बड़ा मुद्दा भील प्रदेश बनाने का है तो बीजेपी का हिंदुत्व और आदिवासी कल्याण का है, वहीं कांग्रेस अतीत के अपने परंपरागत आदिवासी वोटों के जड़ की तलाश में है.

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इससे पहले यहां तीन बार बीजेपी के सुशील कटारा जीते थे. उससे पहले केवल कांग्रेस ही जीतती थी. कांग्रेस के कमजोर होने की वजह से BAP मजबूत होती चली गई. इस बार बीजेपी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और बनवासी कल्याण परिषद के जरिए चौरासी में हार के अंतर को कम करने में लगी है. कांग्रेस में यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता को टिकट मिलने से यूथ कांग्रेस की पूरी टीम पिछले बीस सालों से ख़राब प्रदर्शन को ठीक करने में लगी है.

चौरासी विधानसभा

चौरासी विधानसभा से BAP के विधायक राजकुमार रोत के डूंगरपुर-बांसवाड़ा के सांसद बनने की वजह खाली हुई है. बीजेपी सुशील कटारा और उनके परिवार को टिकट देती थी, मगर इस बार कटारा परिवार का टिकट काटकर सीमलवाड़ा के प्रधान कारीलाल ननोमा को प्रत्याशी बनाया है. उसी तरह से कांग्रेस ताराचंद भगौरा या उनके परिवार को टिकट दिया करती थी, मगर कांग्रेस ने भी युवा सरपंच महेश रोत को प्रत्याशी बनाया है. भारत आदिवासी पार्टी ने भी पार्टी में युवा अनिल कटारा को प्रत्याशी बनाकर मुकाबले को रोमांचक और त्रिकोणीय बना दिया है. BAP में प्रत्याशी का चयन वोटिंग के जरिए हुआ है.

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चौरासी विधानसभा कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, उसके बाद बीजेपी ने भी चुनाव जीते लेकिन 2018 में तीसरी पार्टी के रूप में बीटीपी आई और पहली ही बार में राजकुमार रोत ने जीत हासिल की. 2023 के चुनाव में रोत ने बीटीपी तोड़कर भारत आदिवासी पार्टी बनाई और राजकुमार रोत ने भारी बहुमत से जीत हासिल की. लोकसभा चुनाव में डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट से राजकुमार रोत के सांसद चुने जाने से यहां उपचुनाव हो रहा है. चौरासी विधानसभा क्षेत्र में करीब 235000 के करीब मतदाता है.

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विधानसभा के जातिगत समीकरण

यहां आदिवासी बहुल सीट है. इधर आदिवासी वोटरों की संख्या सबसे अधिक करीब 75 फीसदी है. यहां चुनाव का सारा दारोमदार आदिवासी मतदाता पर है. 25 फीसदी ही दूसरी जातियों जिसमें मुस्लिम, ब्राह्मण, राजपूत, और ओबीसी हैं. पिछले दो बार से राजकुमार रोत को यहां पर 2023 में 1 लाख 11 हजार 150 वोट मिले, तो बीजेपी के सुशील कटारा को 41 हजार 950 और कांग्रेस के ताराचंद भगौरा को 28 हजार 210 वोट मिले. यानी बाप पार्टी के रोत 53 फीसदी वोटों के साथ करीब 70 हजार के अंतर से जीते.

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रोत को 2018 में 64 हजार 119 और सुशील कटारा को 51 हजार 185 और कांग्रेस के मंजू देवी रोत को 35 हजार 915 वोट मिले. चौरासी विधानसभा से अब तक कांग्रेस 5 बार और भाजपा 3 बार चुनाव जीती है, साथ ही 2 बार बाप पार्टी ने जीत हासिल की है. चौरासी में बाप पार्टी के साथ युवाओं की भारी संख्या को देखते हुए तीनों दलों ने युवाओं पर दांव खेला है.
 

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