दिल्ली गैस चैंबर बनी हुई है, न चाहते हुए भी जहरीली हवा में सांस लेना दिल्ली वालों की मजबूरी है, और जिन पर दिल्ली की आबो हवा को साफ करने की जिम्मेदारी है वो एक दूसरे पर आरापों की बौछार कर रहे हैं, कोई ये बताने के लिए तैयार नहीं है कि दिल्ली की हवा में इतना जहर क्यों है, कल खबर आई थी कि संसद में दिल्ली की खराब हवा को लेकर चर्चा होगी मगर आज वो भी नहीं हुई, कल शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन है और मालूम नहीं है कि दम घोंटू दिल्ली पर चर्चा होगी भी की नहीं, यानि कह सकते हैं कि सांस जाए पर सियासत न जाए.